फसल का कचरा भी करता है बड़ा कामभारत में जब हम धान, गेहूं जैसी फसलें काटते हैं, तो उनके साथ बहुत सारा कचरा बच जाता है. सिर्फ खेत ही नहीं, फैक्ट्री और जंगल भी बहुत सारा कचरा पैदा करते हैं. अगर हम इसे जलाते हैं या छोड़ देते हैं, तो इससे हवा में बहुत गंदगी फैलती है और कार्बन डाईऑक्साइड भी निकलती है. इससे हमारी हवा खराब होती है और जलवायु पर भी असर पड़ता है.
जो हम कचरा समझते हैं, वही हमारे लिए सोना बन सकता है. इसे सही तरीके से इस्तेमाल करके हम नई ऊर्जा बना सकते हैं, जैसे बायोफ्यूल और बायोगैस, जो कारखानों और वाहनों के लिए पेट्रोल या कोयले की जगह काम आ सकते हैं. इसके अलावा कचरे से नए सामान भी बनाए जा सकते हैं, जैसे मिट्टी सुधारने वाले उत्पाद, प्लास्टिक के विकल्प और निर्माण सामग्री. इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी बल्कि किसान और ग्रामीण भी इससे लाभ कमा सकते हैं.
फसल के कचरे का सही इस्तेमाल अभी धीरे-धीरे ही हो रहा है. इसके कई कारण हैं. भारत के खेत छोटे-छोटे और दूर-दूर हैं, इसलिए कचरा इकट्ठा करना मुश्किल होता है. कचरा से चीजें बनाना महंगा होता है और बाजार में इसकी मांग भी कम है. लोग इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाते और कंपनियों को भी इसमें भरोसा नहीं होता. इसके अलावा किसानों को कचरा बेचने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, इसलिए वे इसे जलाना आसान समझते हैं. कभी-कभी कचरा प्रोसेस करने के नए तरीके पानी या बिजली ज्यादा मांग लेते हैं, जिससे पर्यावरण पर उल्टा असर भी पड़ सकता है.
अगर हम सही योजना बनाएं तो फसल का कचरा बहुत काम आ सकता है. इसके लिए सबसे पहले लोगों और कंपनियों में जागरूकता बढ़ानी होगी ताकि वे कचरे से बने उत्पाद खरीदें. गांवों में छोटे-छोटे केंद्र बनाने होंगे, जो कचरा इकट्ठा करें और तैयार उत्पाद बनाएं. नए शोध और तकनीक से कचरे से बेहतर और सस्ते उत्पाद बनाए जा सकते हैं. सरकार को भी किसानों और कंपनियों को आर्थिक मदद और प्रोत्साहन देना होगा. किसान, कंपनियां और शोधकर्ता मिलकर काम करें, तब ही फसल के कचरे का पूरा फायदा उठाया जा सकता है.
कचरा सही तरीके से इस्तेमाल करने से सिर्फ हवा साफ नहीं होगी, बल्कि लोगों की सेहत भी बेहतर होगी. मिट्टी उपजाऊ होगी और फसल अच्छी होगी. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेगा और लोग शहरों की ओर पलायन नहीं करेंगे. इसके अलावा भारत में नई ऊर्जा और टिकाऊ उत्पाद बनेंगे, और दुनिया में हम टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बेच सकते हैं.
भारत में हर साल एक अरब टन से ज्यादा फसल का कचरा बचता है. अगर हम इसे सही तरीके से इस्तेमाल करें, तो यह हमारे लिए पर्यावरण, खेती और गांवों के लिए बहुत बड़ा लाभ देगा. फसल का कचरा अब सिर्फ कचरा नहीं है, यह हमारे लिए अवसर और खजाना बन सकता है. इसे केवल जलाने या फेंकने के बजाय हमें इसे मूल्यवान संसाधन मानकर इस्तेमाल करना चाहिए.
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