हल्दी बोर्ड का निर्यात बढ़ाने पर फोकस, खेती और उपज के साथ किसानों की आय बढ़ाना है लक्ष्य

हल्दी बोर्ड का निर्यात बढ़ाने पर फोकस, खेती और उपज के साथ किसानों की आय बढ़ाना है लक्ष्य

स्टडी के अनुसार हल्दी से जुड़े भारतीय किसानों को उतार-चढ़ाव की कीमतों, सीमित बाजार पहुंच और कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे की कमी जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

Advertisement
हल्दी बोर्ड का निर्यात बढ़ाने पर फोकस, खेती और उपज के साथ किसानों की आय बढ़ाना है लक्ष्य हल्दी का रकबा और उत्पादन बढ़ाने पर जोर.

राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड अगले 5 साल में हल्दी निर्यात बढ़ाकर दोगुना करने पर काम कर रहा है. स्टडी में कहा गया है कि 2030 तक भारत का टरमेरिक एक्सपोर्ट 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. वर्तमान में भारत हाई कर्क्यूमिन वाली हल्दी की वैश्विक मांग का केवल 10 फीसदी ही दे पा रहा है. इसके अलावा किसानों से हल्दी की खरीद में तेजी लाने और उन्हें खेती का रकबा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रणनीति बनाने पर जोर दिया है. 

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने देश के प्रमुख हल्दी केंद्रों में से एक उत्तरी तेलंगाना के निजामाबाद में हल्दी बोर्ड के कार्यालय का मंगलवार को उद्घाटन किया. हल्दी बोर्ड का लक्ष्य 2030 तक हल्दी के निर्यात को 1 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है. ICRIER- Amway रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 में 58.2 मिलियन डॉलर मूल्य का वैश्विक हल्दी बाजार 2028 तक 16.1 फीसदी की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है. 

हल्दी की खेती का रकबा बढ़ाना होगा 

स्टडी के अनुसार हल्दी से जुड़े भारतीय किसानों को उतार-चढ़ाव की कीमतों, सीमित बाजार पहुंच और कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे की कमी जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. भारत में 2023-24 में 1,041,730 मीट्रिक टन उत्पादन के साथ 297,460 हेक्टेयर में हल्दी की खेती करने के बावजूद उत्पादन को मजबूत करने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए सुधार की जरूरत है. 

हल्दी के लिए जीआई टैग बढ़ाने पर जोर  

स्टडी में बताया गया है कि भारत एमआरएल वाली हाई कर्क्यूमिन (5 प्रतिशत से अधिक) हल्दी की वैश्विक मांग का केवल 10 फीसदी ही आपूर्ति करने में सक्षम है. इसलिए हाई कर्क्यूमिन किस्म विकसित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास की जरूरत है. इसके साथ ही ऐसी किस्मों को वैश्विक प्लेटफार्मों पर मार्केटिंग किया जाना चाहिए. भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में हैं और 6 जीआई टैग को बढ़ाने की जरूरत है. 5 फीसदी से अधिक करक्यूमिन वाले उत्पादों में जीआई को सुरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.  

2030 तक 1 बिलियन डॉलर पहुंच जाएगा निर्यात 

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक मिश्रा ने कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का अनुमान है कि भारत का हल्दी निर्यात 2030 तक 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की भी स्थापना की है. इस संदर्भ में हमारी रिपोर्ट इस बारे में लक्षित सिफारिशें करती है कि कैसे भारत वैश्विक हल्दी उत्पादक और निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है. 

हल्दी विरासत का लाभ उठाने की जरूरत 

स्टडी की प्रमुख ऑथर डॉ. अर्पिता मुखर्जी ने कहा कि उत्पादन को बढ़ाने, निर्यात चैनलों को मजबूत करने और मूल्यवर्धित उत्पादों को बढ़ावा देने के माध्यम से अपनी समृद्ध हल्दी विरासत का लाभ उठाने के लिए भारत के अनूठे अवसर पर जोर दिया. एमवे इंडिया के एमडी रजनीश चोपड़ा ने कहा कि ICRIER की रिपोर्ट 'भारत को हल्दी का वैश्विक केंद्र बनाना' किसानों, किसान उत्पादक संगठनों, कंपनियों और नीति निर्माताओं की अंतर्दृष्टि को ध्यान से दर्शाती है. रिपोर्ट देश में मूल्य संवर्धन को बढ़ाने पर विचार करती है ताकि किसानों की आय बढ़े और एमएसएमई को लाभ मिले. 

ये भी पढ़ें - 

POST A COMMENT