दाल आयात दिक्कतों के बीच ट्रेडर्स के स्टॉक रोकने के चलते तूर दाल की कीमत में उछाल दर्ज किया गया है. हालांकि, अनुमान है कि अगले कुछ सप्ताह में कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है. क्योंकि, तूर स्टॉक को बाजार में लाने के लिए सरकार ने ट्रेडर्स पर सख्ती बरतते हुए सप्ताह में दो बार स्टॉक का खुलासा करने के निर्देश दिए हैं. इस बीच थोक बाजार में तूर दाल की कीमत 5 फीसदी बढ़ गई है.
तूर दाल की कीमतों लंबे समय से ऊंची बनी हुई हैं. दालों की महंगाई सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. थोक बाजार में तूर दाल की औसत कीमत 6 जून को 9,255 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जो एक दिन बाद 7 जून को 5 फीसदी बढ़कर 9,755 रुपये हो गई. थोक कीमतों में उछाल का असर खुदरा कीमतों पर भी देखने को मिलने लगा है. हालांकि, अगले कुछ सप्ताह में कीमतों के सामान्य स्तर पर लौटने की उम्मीद जताई गई है.
सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले 11 महीने से दालों की महंगाई दर दोहरे अंक से नीचे नहीं आ रही है. अप्रैल 2024 में दालों की महंगाई दर 16.8% दर्ज की गई. इसमें अरहर दाल की महंगाई दर 31.4 फीसदी, चना 14.6 फीसदी और उड़द 14.3 फीसदी दर दर्ज की गई. इसके चलते अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने के 8.5 फीसदी से बढ़कर 8.7 फीसदी पर पहुंच गई. मई 2024 में दालों की महंगाई दर बढ़ने का अनुमान है.
बाजार में दाल की आपूर्ति प्रभावित न हो इसके लिए केंद्र सरकार ने पीली मटर के आयात पर इंपोर्ट शुल्क हटा रखा है. फिर भी ट्रेडर्स बाजार में पीली मटर की आपूर्ति नहीं बढ़ा रहे हैं और स्टॉक को रोक कर रखा है. पीली मटर चना और अरहर की कमी को पूरा करती है. रिपोर्ट के अनुसार केंद्र ने ट्रेडर्स पर सख्ती बढ़ाते हुए हर सप्ताह दो बार इन और आउट स्टॉक का खुलासा करने को कहा है. सरकार बाजार में दाल की आपूर्ति बरकरार रखने के साथ ही कीमतों को नियंत्रित करना चाहती है. इसको लेकर केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने दाल इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक भी की है.
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