तुलसी और पंढरपुर का गहरा है र‍िश्ता, यहां इसकी खेती पर न‍िर्भर हैं काफी क‍िसान

तुलसी और पंढरपुर का गहरा है र‍िश्ता, यहां इसकी खेती पर न‍िर्भर हैं काफी क‍िसान

तुलसी की एक एकड़ खेती से सालाना 2.5 लाख रुपये तक की कमाई होती है. गोपालपुर ग्राम पंचायत के सदस्य पांडुरंग देवमारे ने कहा क‍ि हमारी तुलसी माला भगवान को अर्पित की जाती है. यदि तुलसी से उत्पाद बनाने वाली किसी कंपनी की मांग हो तो हम बड़ी पैमाने पर तुलसी की आपूर्ति भी कर सकते हैं.  

Advertisement
तुलसी और पंढरपुर का गहरा है र‍िश्ता, यहां इसकी खेती पर न‍िर्भर हैं काफी क‍िसान पंढरपुर में होती है बड़े पैमाने पर तुसली की खेती

महाराष्ट्र के आराध्य पंढरपूर के भगवान विट्ठल को विष्णु जी का अवतार कहा जाता है. हम सब जानते हैं कि भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है. इसी तुलसी की खेती पंढरपुर (महाराष्ट्र) में बड़े पैमाने पर होती है. इस बहुउद्देश्यीय तुलसी की खेती पंढरपूर के गोपालपुर में माली भाइयों द्वारा की जाती है, जो पंढरपुर से पांच किलोमीटर दूर है. 65 एकड़ क्षेत्र में लगभग 150 परिवार तुलसी और अन्य फूलों की खेती करते हैं.  इस बारे में बात करते हुए गोपालपुर ग्राम पंचायत के सदस्य और क‍िसान पांडुरंग देवमारे कहते हैं कि हम पीढ़ियों से भगवान को पसंद आने वाली तुलसी की खेती करते आ रहे हैं. यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे खेत में उगी और हमारे द्वारा बनाई गई तुलसी की माला प्रतिदिन भगवान के गले में पहनाई जाती है.

भगवान विट्ठल को चाहे कितने भी सोने और हीरे के हार पहनाए जाए, लेकिन भगवान को यह तुलसी का हार ही सबसे ज्यादा पसंद है. इसका आध्यात्मिक महत्व है. इसके साथ ही पंढरपुर आने वाले संत और भक्त अपने गले में तुलसी की माला पहनते हैं, इसलिए पंढरपुर और तुलसी का अटूट रिश्ता है. दशहरा और दिवाली के दौरान मुंबई में पंढरपुर के फूलों की मालाओं की भारी मांग होती है. इस अवसर पर कई लोग हार बेचने के लिए मुंबई जाते हैं. इससे सभी किसानों को मुनाफा भी अच्छा होता है. तुलसी की खेती से कई लोगों को रोजगार मिलता है.

तुलसी की खेती से चलती है आजीव‍िका 

तुलसी एक साल की फसल है. तुलसी की खेती के दौरान इसके पौधों को दो फीट बाय ढाई फीट की दूरी पर लगाना पड़ता है.  इसके बाद ये पौधे एक साल तक चलते हैं. देवमारे बताते हैं कि इलाके के पुरुष और महिलाएं हर दिन सुबह सात बजे तुलसी काटने का काम शुरू कर देते हैं. तुलसी को काटकर हार बनाया जाता है और मंदिर परिसर के साथ-साथ पंढरपुर के अन्य स्थानों पर भी बेचा जाता है. कई लोगों की आजीविका इस पर निर्भर है. 

ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र सरकार ने फसल बीमा कंपनियों को दिया बड़ा आदेश, कहा-क्लेम लेने में किसानों को न हो परेशानी

क‍ितनी होती है कमाई  

तुलसी की एक एकड़ खेती से सालाना 2.5 लाख रुपये तक की कमाई होती है. देवमारे ने कहा कि हमें इस बात का संतोष है कि हमारी तुलसी माला भगवान को अर्पित की जाती है. यदि तुलसी से उत्पाद बनाने वाली किसी कंपनी की मांग हो तो हम बड़ी पैमाने पर तुलसी की आपूर्ति भी कर सकते हैं. पांडुरंग देवमारे का कहना है कि तुलसी का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए व्यापक रूप से किया जाता है. लेकिन हम इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं. अगर कोई कंपनी हमसे संपर्क करेगी तो हम बड़े पैमाने पर तुलसी का पौधा लगाएंगे ताकि चार पैसे ज्यादा कमा सकें.

जानिए तुलसी के फायदे 

तुलसी हमें ऑक्सीजन देती है. आजकल जहां ज्यादा तुलसी के पौधे हों उसे ऑक्सीजन पार्क भी कहा जाता है. तुलसी के पत्तों में पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें मुख्य रूप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक और आयरन, साइट्रिक और टार्टरिक मौजूद होता है. यदि आप नियमित रूप से घर पर तुलसी की ताजी पत्तियां खाते हैं, तो यह इम्युनिटी पावर को बढ़ाने में मदद करता है. तुलसी की पत्तियां आपको फेफड़ों के संक्रमण और ब्रोंकाइटिस से दूर रखती हैं. यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है. खांसी, जुकाम, कफ होने पर तुलसी लाभकारी है. कफ के लिए तुलसी का काढ़ा बनाया जाता है.

इसे भी पढ़ें: क‍िसानों को म‍िली बड़ी राहत, लेक‍िन बीज, खाद और कीटनाशक बनाने वाली कंपन‍ियों के होश उड़े

 

POST A COMMENT