भारत में बैंगन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. दरअसल, बैंगन को आम लोगों के बीच एक लोकप्रिय सब्जी कहा जाता है. इसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. आपको बता दें, बैंगन लंबे समय तक उपज देता है. सरल शब्दों में कहा जाए तो बैंगन एक बारहमासी पौधा है, लेकिन ज्यादातर किसान इसे वार्षिक पौधे के रूप में लगाते हैं. कई बार किसान इसकी खेती करते समय कंफ्यूज रहते हैं कि कौन सी किस्मों की खेती करके अधिक उपज पा सकते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि अगर किसान बरसात के दिनों में बैंगन की अगेती किस्मों की खेती करें तो भरपूर उपज ले सकते हैं. साथ ही किसान अगर अभी नर्सरी तैयार करेंगे तो अक्टूबर में पैदावार मिलने लगेगी.
अगर आप किसान हैं और इस महीने बैंगन की खेती करना चाहते हैं तो इससे पहले नर्सरी को तैयार कर लें. इसे तैयार करने के लिए लो टनल पॉलीहाउस से अच्छी क्वालिटी का पौधा तैयार कर सकते हैं. इसके लिए संकर किस्म के 100 से 120 ग्राम बीज और सामान्य किस्मों के 160 से 180 ग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से तैयार करें. वहीं, बुवाई से पहले 4 ग्राम ट्राईकोडर्मा या 2 ग्राम थीरम में प्रति किलो बीज का उपचार करें. इसके बाद बीज को लगा दें. बैंगन की नर्सरी अगर जुलाई में लगाते हैं तो अक्टूबर में सब्जी मिलने लगेगी.
बैंगन की अगेती उन्नत प्रजातियां जैसे-पूसा पर्पल क्लस्टर, पूसा क्रांति, पूसा श्यामला, पीपीसी किस्म, स्वर्ण शक्ति, गोल बैंगन की प्रमुख उन्नत किस्में है. इन किस्मों की खेती के लिए अच्छी जमाव क्षमता वाले 400 ग्राम और 250-300 ग्राम संकर किस्मों के बीज प्रति हेक्टेयर की दर से खेती के लिए पर्याप्त होते हैं. रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी 75×60 सेमी रखनी चाहिए.
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पीपीसी किस्म: बैंगन की बहुत सारी किस्में हैं, लेकिन बरसात के दिनो में किसानों को बैंगन की पीपीसी किस्म की खेती करनी चाहिए. इस किस्म की ये खासियत है कि इसके पौधों में कांटे नहीं होते हैं. वहीं इसका पौधा 10-12 सेंटीमीटर लंबा होता है. इसका रंग गहरा बैंगनी होता है और इसके पौधे में 4-9 फल प्रति गुच्छे में पैदावार देता है. इसकी पहली तुड़ाई रोपाई के 60-65 दिन बाद शुरू हो जाती है.
पूसा क्रांति: पूसा क्रांति बैंगन की उन्नत किस्मों में से एक है. इसके फल औसत रूप में 15 से 20 सेमी लंबे होते हैं. इसके फलों का रंग चमकीला बैंगनी होता है. इसके फल साधारण सब्जी और भरता दोनों के लिए उपयोगी होता है. इस किस्म की खेती आप जुलाई के महीने में कर सकते हैं.
पूसा श्यामला: पूसा श्यामला बैंगन की किस्म का फल लंबा, चमकदार और आकर्षक गहरे बैंगनी रंग का होता है. इसके प्रत्येक फल का वजन 80-90 ग्राम होता है. वहीं रोपाई के 50-55 दिन बाद इसकी पहली तुड़ाई होती है. इसकी औसत उपज 39 टन प्रति हेक्टेयर है. बैंगन की इस प्रजाति को आईएआरआई, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है.
पर्पल क्लस्टर: पर्पल क्लस्टर किस्म के बैंगन का आकार आयताकार होता है, जो गुच्छों में पैदा होते हैं. इन फलों का आकार मध्यम होता है, लेकिन इनकी लंबाई 10 से 12 सेमी होती है. पूसा पर्पल किस्म को जीवाणु विल्ट प्रतिरोधी किस्म भी कहा जाता है, जो उत्पादन के मामले में कई किस्मों को मात दे रही है.
स्वर्ण शक्ति: स्वर्ण शक्ति किस्म बैंगन की हाइब्रिड किस्म है जिसकी पैदावार अच्छी होती है. इसके पौधे करीब 70-80 सेंटीमीटर लंबे होते हैं. इसके फल मध्यम आकार के चमकदार बैंगनी रंग के होते हैं. एक बैंगन का वजन करीब 150-200 ग्राम होता है. इससे प्रति हेक्टेयर करीब 700-750 क्विंटल उपज प्राप्त हो सकती है. वहीं इसकी फसल 55-60 दिनों में तैयार हो जाती है.
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