हरियाणा में डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. कृषि विभाग ने पिछले साल डीएसआर तकनीक अपनाने वाले किसानों की लंबित प्रोत्साहन राशि के लिए रकम जारी कर दी है. विभाग ने प्रदेश के 9 जिलों के किसानों के लिए कुल 16.69 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. यह राशि 41726.18 एकड़ रकबे में धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को कवर करेगी. एक अधिकारी ने दावा किया कि डायरेक्ट बिनि ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के तहत यह धनराशि सीधे किसानों के खातों में जारी की जाएगी.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, डीएसआर तकनीक के अपनाने से पानी की बर्बादी कम होगी. इससे भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी. यही वजह है कि सरकार प्रदेश में डीएसआर तकनीक को बढ़ावा दे रही है. ऐसे डीएसआर तकनीक अपनाने वाले हिसार के किसानों को 1.94 करोड़ रुपये, जींद के किसानों को 2.56 करोड़ रुपये, करनाल के किसानों को 1.42 करोड़ रुपये, कुरुक्षेत्र के किसानों को 19,400 रुपये, पानीपत के किसानों को 59.25 लाख रुपये, रोहतक के किसानों को 38.78 लाख रुपये, सिरसा के किसानों को 9.44 करोड़ रुपये, सोनीपत के किसानों को 16.87 लाख रुपये और यमुनानगर के किसानों को 16.64 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी.
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कृषि उपनिदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने प्रोत्साहन राशि मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि हमें भुगतान मिल गया है, जिसे किसानों को वितरित किया जाएगा. आंकड़ों में आगे कहा गया है कि 30 अक्टूबर, 2023 तक डीएसआर तकनीक के तहत सत्यापित क्षेत्र 1,78,552.03 एकड़ था. इसमें से विभाग ने पहले 1,34,207.635 एकड़ के लिए 53.68 करोड़ रुपये वितरित किए थे. नए जारी किए गए फंड से शेष क्षेत्रों को कवर किया जाएगा.
डीडीए ने कहा कि राज्य सरकार भूजल संरक्षण के लिए किसानों को डीएसआर तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 4,000 रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन राशि दे रही है. विभाग ने चालू सीजन के लिए डीएसआर लक्ष्य को भी बढ़ाकर 3,02,000 एकड़ कर दिया है, जो पिछले सीजन में 2,25,000 एकड़ था.
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उन्होंने कहा कि यह पहल 12 प्रमुख धान उत्पादक जिलों में फैलेगी. अंबाला को 12,000 एकड़, फतेहाबाद को 25,000 एकड़, हिसार को 25,000 एकड़, जींद को 20,000 एकड़, कैथल को 18,000 एकड़, करनाल को 30,000 एकड़, कुरुक्षेत्र को 22,000 एकड़, पानीपत को 15,000 एकड़, रोहतक को 15,000 एकड़, सिरसा को 85,000 एकड़, सोनीपत को 20,000 एकड़ और यमुनानगर को 5,000 एकड़ का लक्ष्य दिया गया है. उन्होंने बताया कि डीएसआर तकनीक में धान की बुवाई के लिए खेतों में पानी भरने की जरूरत नहीं होती है. इससे चावल की रोपाई की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत भूजल की बचत होती है.
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