उड़द और मूंग की फसल पर लगते हैं ये कीट, सफेद मक्खी और थ्रिप्स का ऐसे करें बचाव 

उड़द और मूंग की फसल पर लगते हैं ये कीट, सफेद मक्खी और थ्रिप्स का ऐसे करें बचाव 

तना मक्खी, सफेद मक्खी, हरा फुदका, माहू, पत्तीछेदक, थ्रिप्स, चना फलीभेदक एवं मटर फलीभेदक से उड़द और मूंग की फसल को काफी नुकसान होता है. तना मक्खी के कंट्रोल के ल‍िए इंडसिस्टोन या फोरेट से बीजोपचार करके 2-4 सप्ताह तक फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है.

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उड़द और मूंग की फसल पर लगते हैं ये कीट, सफेद मक्खी और थ्रिप्स का ऐसे करें बचाव मूंग की फसल

उड़द और मूंग प्रमुख दलहन फसल है. अगर फसलों का प्रबंधन ठीक तरीके से क‍िया जाए तो इसकी खेती फायदेमंद होती है. इनकी खेती में पर पाए जाने वाले हानिकारक कीटों की समस्या विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती है. फसल की अवस्था अलग तापमान, नमी, सूर्य के प्रकाश तथा बार‍िश पर निर्भर करती है. इन कीटों में तना मक्खी, सफेद मक्खी, हरा फुदका (लीफ हॉपर या जैसिड), माहू, पत्तीछेदक भृंग (गेलूरूसिड बीटिल) पर्ण जीवक (थ्रिप्स), चना फलीभेदक एवं मटर फलीभेदक आदि प्रमुख हैं. तना मक्खी के कंट्रोल के ल‍िए इंडसिस्टोन या फोरेट से बीजोपचार करके 2-4 सप्ताह तक फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है.

बुवाई के समय एल्डीकार्ब 10 जी एवं फोरेट 10 जी 1.6 क‍िलोग्राम सक्रिय तत्व प्रत‍ि हेक्टेयर का प्रयोग करना अधिक लाभदायक होता है. मोनोक्रोटोफॉस 40 ई.सी. 624 मि.ली./ हेक्टेयर या ऑक्सीडिमेटान मिथाइल 25 ई.सी. 750 मि.ली./हेक्टेयर की दर से छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए. ऐसा करना क‍िसानों के ल‍िए लाभदायक रहेगा. 

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ऐसे कंट्रोल होगी सफेद मक्खी

सफेद मक्खी के कंट्रोल के लिए ऑक्सीडिमेटान मिथाइल 0.1 प्रतिशत या डाइमेथोएट 0.3 प्रतिशत प्रत‍ि हेक्टेयर 650-700 लीटर पानी में मिलाकर 3-4 छिड़काव करना चाहिए. इमिडाक्लोरोप्रिड 0.5 मि.ली. प्रत‍ि लीटर पानी (500 लीटर/हेक्टेयर) की दर से छिड़काव बुवाई के 10-15 दिनों बाद जरूर करना चाह‍िए. 

कैसे करें माहू को कंट्रोल 

माहू के नियंत्रण के ल‍िए फेनवलेरेट, साइपरमेथ्रिन एवं डेकामिथ्रिन आदि काफी प्रभावी पाया गया है. बुवाई के समय डाइसल्फोटोन ग्रेन्यूल एक क‍िलोग्राम सक्रिय तत्व प्रत‍ि हेक्टेयर के प्रयोग करने से लगभग पांच सप्ताह तक माहू का नियंत्रण आसानी से हो जाता है. पत्तीछेदक भृंग के प्रभावी नियंत्रण के लिये डाइसल्फोटोन 5 जी 1.5 कि.ग्रा. प्रत‍ि हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय प्रयोग लाभदायक होता है. 

थ्रिप्स की की रोकथाम कैसे करें 

पर्ण जीवक (थ्रिप्स) की रोकथाम करने के लिये कीटनाशी जैसे कार्बोफ्यूरॉन 3 जी या फोरेट 10 जी 1 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व प्रत‍ि हेक्टेयर की दर से मिट्टी में बुवाई के समय डालना अधिक उपयोगी होता है. इसी तरह साइपरमेथ्रिन 0.1 प्रतिशत या फ्लूवैलिनेट 0.075 प्रतिशत या फेनवलरेट 0.1 प्रतिशत से भी खरीफ की फसल में पर्ण जीवक से छुटकारा पाया जा सकता है. 0.03 प्रतिशत डाइमेथोएट अथवा 0.03 प्रतिशत मिथाइल ओडिमेटान का प्रयोग भी अधिक प्रभावी पाया गया है. इसके साथ ही किसान गर्मी में खेत की गहरी जुताई अवश्य करें.

फलीभेदक का कंट्रोल कैसे होगा 

चना फलीभेदक के नियंत्रण के लिए सबसे पहले यौन आकर्षण जाल (फेरोमैन ट्रैप) द्वारा नियमित निगरानी करते रहें. जैसे ही 5-6 नर कीट/ट्रैप 24 घंटे के अन्द्र मिलना शुरू हो जाए तब नियंत्रण तकनीक अपनाएं. एनपीवी 250 लार्वा तुल्य का छिड़काव करें एवं परभक्षियों के लिये खेत में 'टी' आकार की लकड़ी लगा दें. इसके साथ ही नीम की निबौली के सत का 5 प्रतिशत घोल का छिड़काव लाभदायक सिद्ध हुआ है. मटर फलीछेदक के लिए मिथाइल डिमेटान 0.05 प्रतिशत का प्रयोग काफी प्रभावी पाया गया है.

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