हरी सब्जियों में पालक का अपना एक विशेष महत्व है. ये आयरन से परिपूर्ण एक ऐसी सब्जी है जिसे कई तरीके से खाया जाता है. इसे आलू के साथ मिलाकर सब्जी बनाई जाती है. वहीं इसे कच्चे सलाद के रूप में भी खाया जाता है. पालक की कढ़ी भी बनाई जाती है. वहीं अगर किसानों के लिए इसकी खेती की बात करें तो किसान इसकी खेती सितंबर और अक्टूबर महीने में कर सकते हैं. सितंबर से अक्टूबर का समय इसकी खेती के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है. इस सीजन में बारिश और मध्यम तापमान के चलते पालक की अच्छी पैदावार होती है.
पालक की बुवाई के लिए सितंबर और अक्टूबर का महीना सबसे बेहतर माना जाता है. आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर पालक की किस्मों के बारे में जिसकी खेती बेहतर पैदावार देती है और किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
पालक जैसी पत्तेदार सब्जियों को उगाने का सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि यह कम समय में पककर तैयार हो जाती है. इसकी खेती के लिए सामान्य सर्द मौसम ही सबसे अच्छा रहता है. खासकर ठंड के मौसम में पालक के पत्तों की अच्छी उपज मिलती है. किसान चाहें तो बेहतर उत्पादन के लिए पालक की ऑल ग्रीन, जोबनेर ग्रीन, पूसा हरित, पंजाब ग्रीन और पूसा ज्योति किस्मों की बुवाई कर सकते हैं.
पालक की ऑल ग्रीन किस्म एक अधिक उपज देने वाली किस्म है. इसकी खेती सर्दी के मौसम में ज्यादा की जाती है. इस किस्म के पौधे एक समान हरे, आकार में चौड़े और मुलायम होते हैं. वहीं बुवाई से करीब 35 से 40 दिन में फसल तैयार हो जाती है. इसके बाद लगभग 20 से 30 दिन के अंतराल पर इसके पत्ते कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म की 06 से 07 बार कटाई आसानी से की जा सकती है.
इस किस्म के सभी पत्ते एक समान हरे रंग के, मुलायम, बड़े और मोटे आकार के होते हैं. ये पत्ते पकने के बाद आसानी से गल जाते हैं. इसे क्षारीय भूमि में भी उगाया जा सकता है. बुवाई से करीब 40 दिन में ये किस्म तैयार हो जाती है. इस किस्म से लगभग 10 -12 टन प्रति एकड़ तक पैदावार मिलती है.
ये किस्म देश के मैदानी इलाकों के साथ साथ ये किस्म पहाड़ी इलाकों में भी पूरे साल उगाई जा सकती है. इसके पत्ते गहरे हरे रंग और बड़े आकार के होते हैं. इसमें बीज बनाने वाले डंठल देर से निकलते हैं. इसलिए बुवाई के बाद कई बार इस किस्म की कटाई कर सकते हैं. वहीं इसे तैयार होने में 35 से 40 दिन लगते हैं.
इस किस्म की खेती पंजाब और इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. इस किस्म के पत्ते चमकीले हरे रंग के होते हैं. इस किस्म की 06 से 07 बार कटाई आसानी से की जा सकती है. ये किस्म अधिक पैदावार देने वाली किस्मों से एक है और लगभग 14 से 16 टन प्रति एकड़ पैदावार मिलती है.
यह पालक की एक महत्वपूर्ण और सबसे ज़्यादा चलने वाली किस्म है. इसके पत्ते बेहद मुलायम और बिना रेशे वाले होते हैं. इस किस्म को अगेती और पछेती, जब चाहें, उगाया जा सकता है. बुवाई के करीब 45 दिन के बाद इसकी फ़सल तैयार हो जाती है. वहीं इसकी लगभग 07 से 10 बार कटाई की जा सकती है. अधिक पैदावार वाली इस किस्म से लगभग 18 से 20 टन प्रति एकड़ उपज मिलती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today