सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बेहतरीन हैं बासमती की ये 5 किस्में, कम पानी में देती हैं बंपर पैदावार

सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बेहतरीन हैं बासमती की ये 5 किस्में, कम पानी में देती हैं बंपर पैदावार

मई का महीना आते ही किसान अपने खेतों में धान का बिचड़ा डालने की तैयारी करने लगे हैं. लेकिन, धान की खेती में कई बार किसानों को सिंचाई से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में किसान इस पांच किस्मों की खेती कम पानी में भी कर सकते हैं.

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सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बेहतरीन हैं बासमती की ये 5 किस्में, कम पानी में देती हैं बंपर पैदावारधान की खेती

मई का महीना आने वाला है. ऐसे में देश के ज्यादातर किसान अब खरीफ की प्रमुख फसल धान की खेती की तैयारी में जुट गए हैं. किसान अब अपने खेतों में धान का बिचड़ा डालने की तैयारी करने लगे हैं. लेकिन, धान की खेती में कई बार किसानों को सिंचाई से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है क्योंकि धान की फसल को तैयार करने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने धान की कई ऐसी किस्में तैयार की हैं, जो कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती हैं. कई राज्यों के किसान बारिश को ध्यान में रखते हुए धान की खेती करते हैं. लेकिन अब उन किसानों के लिए धान की ये 5 किस्में किसी वरदान से कम नहीं हैं. आइए जानते हैं कौन सी हैं वो किस्में और क्या है उनकी खासियत.

धान की 5 बासमती किस्में

पूसा बासमती PB-1847: ये पूसा बासमती-1509 का नया संस्करण है. यह किस्म झुलसा और झोंका रोग के प्रति सहनशील है. वहीं, ये किसानों की खूब पसंद की जाने वाली किस्म है. यह एक एकड़ में 25 से 32 क्विंटल तक उत्पादन देती है. इस किस्म को कम पानी वाले जगह पर भी आसानी से उगाया जा सकता है.

PB 1509 किस्म: धान की खेती के लिए अगर आपके पास सिंचाई के सीमित संसाधन हैं तो आपको पूसा बासमती PB 1509 किस्म का चयन करना चाहिए. इसकी क्वालिटी बहुत अच्छी होती है. धान की इस किस्म के पौधे बौने रहते हैं. इसकी खास बात यह है कि इसका उत्पादन बेहद अच्छा होता है. ऐसे में कम पानी होने पर भी किसान इसकी खेती कर सकते हैं.

पूसा बासमती PB-1401: यह धान की कम पानी में उगने वाली एक बासमती किस्म है. यह पकने के बाद भी गिरती नहीं है. बासमती की ये किस्म 135 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है. ये किस्म 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है. इस किस्म की बुवाई 25 जून के बाद और पूरे जुलाई तक की जा सकती है. इसका दाना पकने के बाद भी एक समान रहता है. यह बासमती की पसंदीदा किस्मों में से एक है.

पूसा बासमती PB 1728: इस किस्म में बैक्टीरियल ब्लाइट बीमारी से लड़ने की क्षमता है. यह पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड में उगाई जाने वाली एक खास किस्म है. इसकी बिजाई 20 में से 22 जून तक की जाती है. खास बात यह है कि 1 एकड़ में इसकी बिजाई के लिए 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है. वहीं, कम सिंचाई वाले क्षेत्र में भी इसे आसानी से उगा सकते हैं.

पूसा बासमती PB-1886: ये बासमती की एक खास किस्म है. ये किस्म 150 से 155 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. बासमती की यह किस्म झुलसा और झोंका रोग के लिए प्रतिरोधी है. यह किस्म हरियाणा और उत्तराखंड के लिए बेस्ट है. इसकी बुवाई 15 जून से पूरे जुलाई तक की जा सकती है. यह किस्म एक हेक्टेयर में करीब 50 क्विंटल तक का उत्पादन देती है.

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