पपीते का पौधा हो सकता है कुपोषण का शिकार! बड़े और चमकदार फलों के लिए ये उपाय करें किसान

पपीते का पौधा हो सकता है कुपोषण का शिकार! बड़े और चमकदार फलों के लिए ये उपाय करें किसान

पपीते के पौधों को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है. इसके लिए बगीचे की मिट्टी का उपजाऊ होना बहुत जरूरी है. बगीचे की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए रोपण से पहले हरी खाद वाली फसलें (ढेंचा, सनई, मूंग आदि) लेनी चाहिए. गोबर की खाद का प्रयोग भरपूर मात्रा में करना चाहिए.

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पपीते का पौधा हो सकता है कुपोषण का शिकार! बड़े और चमकदार फलों के लिए ये उपाय करें किसानपपीते में ऐसे दूर करें कुपोषण की कमी

फलों में पपीता का महत्वपूर्ण स्थान है. इस फल का उपयोग कच्चा और पकाकर दोनों तरह से किया जाता है. इसकी खेती भारत के अधिकांश भागों में की जाती है. पपीते में विटामिन A प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. जिन लोगों को अपच की समस्या होती है उनके लिए पपीता रामबाण है. इसके सेवन से अपच की समस्या दूर हो जाती है. यह फल पित्त का इलाज करता है और भूख को जगाता है. इसीलिए जब हम बीमार पड़ते हैं तो डॉक्टर भी हमें पपीता खाने की सलाह देते हैं. 

पपीता के साथ करें इन फसलों की खेती

इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी होता है जो त्वचा को नम रखने में मदद करता है. इसके अलावा पपीते का उपयोग घरेलू ब्युटि प्रॉडक्ट में भी किया जाता है. कई लोग पपीते को चेहरे पर लगाते हैं, जिससे चेहरे पर चमक आती है और त्वचा में नमी बनी रहती है. अगर इसकी खेती उन्नत तरीके से की जाए तो कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. इतना ही नहीं, इसकी खेती के साथ-साथ इसकी सहफसली फसलें भी बोई जा सकती हैं. इनमें मटर, मेथी, चना, फ्रेंचबीन और सोयाबीन आदि जैसी दलहनी फसलें इसके साथ उगाई जा सकती हैं, लेकिन ध्यान रखें कि पपीते के पौधों के बीच मिर्च, टमाटर, बैंगन, भिंडी आदि जैसी फसलें अंतःफसल के रूप में नहीं उगाई जानी चाहिए. ताकि पपीते के पौधों को इससे नुकसान न हो. वहीं अगर पपीते का पौधा कुपोषण का शिकार हो गया है तो किसान इन तरीकों से इससे निजात पा सकते हैं.

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पपीते में  कुपोषण की समस्या को करें दूर

पपीते के पौधों को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है. इसके लिए बगीचे की मिट्टी का उपजाऊ होना बहुत जरूरी है. बगीचे की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए रोपण से पहले हरी खाद वाली फसलें (ढेंचा, सनई, मूंग आदि) लेनी चाहिए. गोबर की खाद का प्रयोग भरपूर मात्रा में करना चाहिए. खेतों में भेड़-बकरियां पालने से मिट्टी की उर्वरता काफी बढ़ जाती है. इसके अलावा पपीते के पौधों को समय-समय पर मिट्टी परीक्षण और पौधों की मांग के आधार पर रासायनिक उर्वरक और सूक्ष्म पोषक तत्व देते रहना चाहिए. बोरोन की आवश्यकता फल लगने के समय तथा पोटैशियम तथा कैल्शियम की आवश्यकता फलों के पकने के समय होती है.

पपीते में पाए जाने वाले पोषक तत्व

पपीते का वानस्पतिक नाम कैरिका पपीता है. पपीता कैरिकेसी परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य है. पपीता एक बहुपत्नी पौधा है और पपीते में तीन प्रकार के लिंग होते हैं, नर, मादा और एक ही पेड़ पर नर और मादा दोनों लिंग पाए जाते हैं. इसमें विटामिन ए पाया जाता है. पपेन कच्चे फल से बनाया जाता है. इसका कच्चा फल हरा होता है और पकने पर पीला हो जाता है. पका पपीता मीठा, भारी, गर्म, स्निग्ध और रसदार होता है.

पपीते की उन्नत किस्में

  • पूसा डोलसियरा- यह पपीते की अधिक उपज देने वाली गाइनोडियोशियस किस्म है. जिसमें एक ही पौधे पर नर और मादा दो प्रकार के फूल उगते हैं. पके फल का स्वाद मीठा होता है और इसमें आकर्षक सुगंध होती है. इस किस्म से प्रति पेड़ लगभग 40-45 किलोग्राम उपज प्राप्त की जा सकती है.
  • पपीते की संकर किस्म- रेड लेडी 786- पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा पपीते की एक नई किस्म विकसित की गई है, जिसका नाम रेड लेडी 786 है. यह एक संकर किस्म है. इस किस्म की खासियत यह है कि पौधे पर केवल नर और मादा फूल होते हैं, इसलिए प्रत्येक पौधे पर फल मिलने की गारंटी होती है.
  • पूसा मेजेस्टी- यह भी एक गाइनोडायोसियस प्रजाति है. इसकी उत्पादकता अधिक है तथा भण्डारण क्षमता भी अधिक है. इसे संपूर्ण भारत में उगाया जा सकता है. इसकी उपज की बात करें तो इसकी उपज 35-40 किलोग्राम प्रति पेड़ हो सकती है. 
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