पंजाब सरकार ने राज्य में धान की पराली जलाने की गंभीर समस्या पर आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि पराली में आग लगाने की संख्या 2022 में 5798 से घटकर 2023 में 2704 हो गई है, जो 25 अक्टूबर 2022 की तुलना में 25 अक्टूबर 2023 के मामले में 53% कम है. पराली में आग लगाने की घटना हर साल 15 सितंबर के बाद शुरू होती है. राज्य में 31 लाख हेक्टेयर में धान की खेती वाला राज्य पंजाब, 20 मिलियन टन धान की पराली पैदा करता है. इस चुनौती से निपटने के लिए, सरकार ने इन-सीटू (ऑन-फील्ड) और एक्स-सीटू (ऑफ-फील्ड) धान की पराली के प्रबंधन के लिए कई पहल लागू की है.
इन-सीटू प्रबंधन पहल में किसान समूहों के लिए 80% सब्सिडी और व्यक्तिगत किसानों के लिए 50% सब्सिडी पर पराली प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों का प्रावधान शामिल है. सितंबर में धान की कटाई के मौसम से काफी पहले, राज्य ने 24,000 मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी, जिनमें से 16,000 मशीनें पहले से ही किसानों द्वारा उपयोग में लाई जा रही हैं. इसके अलावा, प्रत्येक ब्लॉक में कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए जिलों को 7.15 करोड़ का आवंटन किया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि छोटे और सीमांत किसानों को सीआरएम मशीनें मुफ्त प्रदान की जाएं.
वर्तमान में, राज्य में पराली प्रबंधन वाली 1.35 लाख मशीनें हैं और उनके उपयोग को अधिकतम करने के लिए ठोस प्रयास चल रहे हैं. राज्य ने इन मशीनों के उपयोग पर नज़र रखने के लिए एक प्रणाली स्थापित की गई है. मशीनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा साप्ताहिक समीक्षा की जा रही है. देश में सबसे ज्यादा पराली पंजाब में जली है.
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राज्य ने सीआरएम मशीनों, अर्थात् सरफेस सीडर, के लिए एक कुशल और लागत प्रभावी संयोजन पेश किया है. इसे 500 किसानों द्वारा खरीदा गया है. राज्य में धान की पराली का उपयोग करने वाले उद्योगों ने 2022 से 23.4 लाख मीट्रिक टन धान की पराली की खपत की है. पंजाब सरकार का कहना है कि प्रशासन ने सभी उद्योगों को बेलर एग्रीगेटर्स के साथ मैप करके और पराली के भंडारण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध करवा कर बड़ी पहल की है. भूसे की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने और इकाइयों के सामने आने वाली किसी भी परिचालन संबंधी समस्या से बचने के लिए सभी उद्योगों के साथ नियमित संवाद स्थापित किया गया है.
इसके अलावा ईंट भट्टों को 20% कोयले को पराली की गांठों से रिप्लेस करने का निर्देश दिया गया है. देना और ईंधन के रूप में धान के भूसे का उपयोग करने वाले पहले 50 बॉयलरों को 25 करोड़ वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश करना शामिल है. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा धान की पराली का उपयोग करने के लिए उद्योगों को 33 वर्षों के लिए पट्टे के आधार पर भूमि प्रदान की जा रही है. सरकार बड़े बेलर खरीदने के लिए पीपीपी मॉडल को भी सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है, जिसमें पराली की सप्लाई चेन स्थापित करने के लिए 1 करोड़ रुपये तक की 65% सब्सिडी दी जा रही है.
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