त्रिपुरा के कृषि मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि राज्य ने वित्तीय वर्ष 2029-30 तक आलू और आलू के बीज उत्पादन दोनों में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में, पूर्वोत्तर राज्य में प्रति वर्ष 1.46 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है, जबकि मांग 1.55 लाख मीट्रिक टन है. यहां औसत उपज 19.16 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है. त्रिपुरा के कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने आलू उत्पादन बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (आईपीसी), लीमा (पेरू) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
कृषि मंत्री रतन लाल नाथ ने शुक्रवार को बताया कि हमने 2023 में राज्य के 104 किसानों, 2024 में 402 किसानों और 2025 में 4,000 किसानों को एपिक रूटेड कटिंग (ईआरसी) आलू के बीज वितरित किए हैं. नाथ ने कहा कि आईपीसी ने खेतों में ईआरसी के सफल कार्यान्वयन के लिए विभाग को तकनीकी सहायता प्रदान की है. नाथ ने दावा किया कि ईआरसी तकनीक के उपयोग से पैदावार में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. उन्होंने कहा, "ईआरसी पद्धति अपनाने के बाद, उपज औसतन 19.16 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 52-60 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो गई है."
गौरतलब है कि इस पूर्वोत्तर राज्य में कुल 23,746 किसान 7,622 हेक्टेयर में आलू की खेती करते हैं. त्रिपुरा के कृषि मंत्री ने कहा, "भारी उत्पादन से प्रभावित होकर, अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र के महानिदेशक साइमन हेक और कंट्री मैनेजर निरोज शर्मा गुरुवार को यहां पहुंचे. हेक ने पश्चिमी त्रिपुरा स्थित नागीचेरा कृषि अनुसंधान केंद्र का दौरा किया और किसानों से बातचीत भी की. उन्होंने मुझसे भी मुलाकात की."
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने देश की आलू उत्पादकता बढ़ाने के लिए केंद्रीय बीज समिति की सिफारिशों के आधार पर पूरे भारत में गुणवत्तापूर्ण बीज के रूप में कृषि उपयोग के लिए चार नई आलू किस्मों को मंजूरी दी है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि आईसीएआर के केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) द्वारा विकसित आलू की इन चार नई किस्मों - कुफरी रतन, कुफरी चिपभारत-1, कुफरी चिपभारत-2 और कुफरी तेजस - को देश भर में बीज उत्पादन और प्रवर्धन के लिए मंजूरी दे दी गई है.
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा विकसित आलू की चार नई किस्में, अपने अधिक उत्पादन और बेहतरीन भंडारण क्षमता से किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगी. इन किस्मों का बीज देश के 15 राज्यों में उपलब्ध होगा, जिनमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तराखंड के मैदानी इलाके शामिल हैं.
(सोर्स- PTI)
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