देश के दो बड़े धान उत्पादक राज्यों पंजाब और हरियाणा में इस साल पराली जलाने के मामले कम हो गए हैं. इन्हीं दोनों राज्यों में पराली जलाने के मामले सबसे ज्यादा आते हैं. हालांकि पराली जलाने की घटनाओं में कमी के बावजूद दिवाली के आसपास दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में स्मॉग परेशान कर सकता है. वायु प्रदूषण बढ़ सकता है. क्योंकि अब ओस पड़ने लगी है और उसकी वजह से धूल और धुआं उपर नहीं उठ पाते. दिल्ली-एनसीआर में पराली की चर्चा हर साल होती है क्योंकि इन दिनों इसकी वजह से वायु प्रदूषण काफी बढ़ जाता है. हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो जाती है. फिलहाल, यह सुकून वाली बात है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले 50 फ़ीसदी तक कम हो गए हैं.
दोनों सरकारों ने पराली को लेकर काफी काम किया है. खेत के अंदर और खेत के बाहर पराली मैनेजमेंट को लेकर कई सारी योजनाएं चल रही हैं. पराली निस्तारण के लिए सरकार प्रति एकड़ एक हजार रुपये दे रही है तो पराली की गांठ बनाने वाली मशीनों को खरीदने पर सब्सिडी मिल रही है. यहां प्रति मीट्रिक टन पराली का दाम 1290 रुपए निर्धारित किया गया है. पराली से वैज्ञानिक खाद भी बनाने की सलाह दे रहे हैं. पूसा डीकंपोजर के जरिए पराली को खेत में ही सड़ाकर खाद बना देने पर भी काम हो रहा है.
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पंजाब में इस साल (15 सितंबर से 24 अक्टूबर के बीच) पराली जलाने के 2,306 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि पिछले साल इसी समय तक 5617 मामले दर्ज किए गए थे. यहां साल 2020 में 14,805 और 2021 में 6058 मामले आए थे. यानी केस काफी कम हो गए हैं. देखना यह है कि क्या आने वाले दिनों में भी ऐसी ही स्थिति कायम रहेगी या फिर हालात बिगड़ जाएंगे.
इसी तरह 15 सितंबर से 24 अक्टूबर के बीच हरियाणा में कुल 813 मामले दर्ज हुए हैं. जबकि पिछले साल इसी अवधि में 1360 मामले सामने आए थे. राज्य में 2020 के दौरान 1617 और 2021 में 1764 मामले दर्ज किए गए थे. यानी हरियाणा में भी पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है.
हरियाणा में किसान 70 फ़ीसदी से ज्यादा धान की फसल काट चुके हैं. लेकिन पंजाब में लगभग 40 फीसदी फसल कटनी बाकी है. इसलिए अभी पराली जलाने के मामले और बढ़ सकते हैं. कहा जा रहा है कि 27 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच पंजाब में पाराली जलाने के मामले बढ़ सकते हैं. यानी दिवाली के आसपास दिल्ली और एनसीआर के इलाकों के निवासियों को प्रदूषण तंग कर सकता है. हालांकि, दोनों सरकारें लगातार किसानों को समझा रही हैं कि वो पराली न जलाएं. रिपोर्ट /मंजीत सहगल
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