केंद्र सरकार दलहन और तिलहन की डिमांड को पूरा करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. इसके लिए वह हर साल भारी मात्रा में दलहन और तिलहन का आयात कर रही है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2023-24 में दालों की खेप पर 3.75 बिलियन डॉलर और खाद्य तेलों पर 14.8 बिलियन डॉलर खर्च किया है. हालांकि, केंद्र सरकार ने 2027 तक दलहन उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में वह दलहन की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इसके बावजूद भी किसान सब्सिडी वाले धान की खेती करने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली स्थित थिंक-टैंक, इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस के अध्ययन में कहा गया है कि सब्सिडी की चलते किसान धान की खेती में ज्यादा रुचि ले रहे हैं. ऐसे में सरकार को धान की जगह अन्य फसलों की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. साल 2023-24 के दौरान केंद्र और राज्य सरकार ने पंजाब में धान के लिए बिजली, बीज, उर्वरक और सिंचाई के लिए संयुक्त सब्सिडी पर 38,973 रुपये प्रति हेक्टेयर खर्च किया, जो किसी भी फसल के लिए सबसे अधिक है. खास बात यह है कि धान की तरह दूसरी फसलों को सब्सिडी का समान लाभ नहीं मिलता है.
अध्ययन के अनुसार, 2021-22 में पंजाब और हरियाणा के किसानों ने अन्य फसलों की तुलना में धान पर अधिक उर्वरकों का उपयोग किया, जिससे पता चलता है कि उर्वरक सब्सिडी का एक बड़ा हिस्सा धान में जाता है. हालांकि, भारत चावल का एक प्रमुख निर्यातक है, जो वैश्विक शिपमेंट का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा रखता है. साल 2021-22 में, देश ने लगभग 22 मिलियन टन अनाज का निर्यात किया, जो इसके कुल उत्पादन का लगभग छठा हिस्सा है. देश ने बढ़ती अनाज महंगाई को कम करने के लिए अगस्त 2023 में अनाज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया.
साथ ही अध्ययन में कहा गया है कि किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के कारण भी धान को पसंद करते हैं. ऐसे भी सरकार MSP दरों पर धान और गेहूं खरीदती है. अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि अन्य फसलों के लिए एमएसपी पर खरीद धान और गेहूं की तरह नहीं होती है. इससे किसान दूसरी फसलों की खेती करना उतना पसंद नहीं करते हैं. साल 2021-22 में, धान के लिए लाभ मार्जिन अधिकांश अन्य ग्रीष्मकालीन फसलों से अधिक रहा है.
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