तेलंगाना में धान खरीददारी का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा, अभी तक 60 फीसदी ही हुई खरीदी

तेलंगाना में धान खरीददारी का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा, अभी तक 60 फीसदी ही हुई खरीदी

तेलंगाना राज्य के विभिन्न हिस्सों में 7,011 खरीद केंद्र खोलने वाले सिविल सप्लाइज विभाग ने 4,500 केंद्रों को बंद कर दिया है. वही एक करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले 60 लाख टन धान की खरीदारी हुई है.

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तेलंगाना में धान खरीददारी का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा, अभी तक 60 फीसदी ही हुई खरीदीतेलंगाना में एक करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले 60 लाख टन धान की खरीद (सांकेतिक तस्वीर)

तेलंगाना में धान की खरीद धीमी गति से चल रही है. हालिया आंकड़ों के अनुसार, राज्य ने खरीफ कटाई के मौसम के लिए एक करोड़ टन धान खरीदारी का लक्ष्य रखा था लेकिन लक्ष्य के मुकाबले अब तक 60 लाख टन धान की खरीदारी हो पाई है. राज्य के लगभग 10 लाख किसानों से खरीदे गए धान का कुल मूल्य 12,500 करोड़ रुपये है. वही सिविल सप्लाइज मंत्री गंगुला कमलाकर ने कहा है कि हमने अब तक 11,000 करोड़ रुपए जमा किए हैं.

बता दें कि पिछले साल इस समय तक राज्य ने लगभग 65 लाख टन धान की खरीद की थी. वही सिविल सप्लाइज विभाग ने राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में खुले 7,011 खरीद केंद्र में से 4,500 केंद्रों को बंद कर दिया है.

निजामाबाद में सबसे ज्यादा धान की खरीदारी

द हिंदू बिजनेसलाइन के अनुसार, तेलंगाना का निजामाबाद जिला 6 लाख टन धान की खरीद के साथ सबसे आगे है, इसके बाद कामारेड्डी में 5 लाख टन और नालगोंडा में 4 लाख टन की खरीदारी हुई है. वही किसान संघों ने कहा है कि संख्या का जश्न मनाने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि सरकार ने अच्छी संख्या में खरीद केंद्रों को बंद कर दिया था.

26.30 लाख हेक्टेयर में धान की खेती 

राज्य के किसानों ने खरीफ सीजन में 1.7 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस बार रिकॉर्ड 26.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की थी. वही सरकार ने कहा था कि वो 1 करोड़ टन धान की ख़रीदारी करेगी लेकिन अब तक केवल 59 लाख टन की खरीद की है, जिससे लक्ष्य और खरीदारी हुई मात्रा के बीच एक बड़ा अंतर रह गया है.

5 लाख टन खरीद की उम्मीद

तेलंगाना रायथु संघम के सचिव टी सागर ने कहा कि राज्य सरकार ने खरीद के समापन चरण का संकेत देते हुए अधिकांश खरीद केंद्रों को बंद कर दिया है. उन्होंने कहा, "हम और 5 लाख टन की खरीद की उम्मीद कर रहे हैं."

चावल की मांग 

रबी चावल के विपरीत, खरीफ चावल को मिलिंग में नुकसान से बचने के लिए उसना चावल में बदल दिया जाता है. इसके अलावा मिलर्स द्वारा खरीफ चावल की अच्छी डिमांड रहती है क्योंकि खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली चावल की अच्छी किस्मों की उपभोक्ताओं द्वारा डिमांड की जाती है.  

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