तेलंगाना में कपास किसान कई कारणों से नाखुश हैं. मौसम के अंत में हुई बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया, जिससे उन्हें फसल में अधिक नमी का सामना करना पड़ रहा है. इससे उनका मुनाफा मारा गया है क्योंकि कपास का रेट कम लग रहा है. दूसरी ओर, कुल पैदावार भी लगभग 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ से घटकर 3-4 क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है.
महबूबाबाद जिले के एक कपास किसान ने 'बिजनेसलाइन' को बताया, "हम बहुत खुश नहीं हैं. पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सुंडी) के फसल पर हमला करने के कारण पैदावार कम हुई है. मौसम के अंत में हुई बेमौसम बारिश ने फसल को और नुकसान पहुंचाया. मुझे दो एकड़ में 4-5 क्विंटल मिले."
भारतीय कपास निगम (CCI) ने अब तक लगभग 43 लाख क्विंटल कपास खरीदा है. इसने औसत दर 7,400 रुपये प्रति क्विंटल तय की है. इस सीजन में नमी की मात्रा अधिक होने और त्योहारी सीजन के कारण धीमी गति से शुरू हुई खरीद में दिवाली के बाद तेजी आई है, क्योंकि किसान अपनी उपज को CCI को बेचने के लिए नजदीगी मिल में ला रहे हैं.
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जंगन जिले के एक किसान राजी रेड्डी ने कहा कि मिल मालिक हर क्विंटल पर 4-5 किलो की कटौती कर रहे हैं, जिससे उनकी आय कम हो रही है. किसानों के सामने एक और बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें दूसरी बार कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं.
कपास की गिरती कमाई के मुद्दे ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है. विपक्षी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने आरोप लगाया है कि कपास किसानों को केवल 6,500 रुपये प्रति क्विंटल दिया जा रहा है, जबकि एमएसपी 7,500 रुपये है.
बीआरएस के वरिष्ठ नेता टी हरीश राव ने इस सप्ताह की शुरुआत में खम्मम मार्केट यार्ड का दौरा किया और कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) से यार्ड में खरीद केंद्र लगाने की मांग की. उन्होंने कहा, "बिचौलिए किसानों से 6,500 रुपये में कपास खरीद रहे हैं और इसे सीसीआई को 7,500 रुपये में बेच रहे हैं."
किसानों के साथ हो रही बदसलूकी को देखते हुए तेलंगाना रायथु संघम ने मांग की है कि सरकार 475 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस घोषित करे. संघ ने खरीद सीजन में कपास किसानों के सामने आ रही समस्याओं पर चर्चा करने के लिए वारंगल में राज्य स्तरीय बैठक की.
इस बीच, सीसीआई ने किसानों से कहा है कि वे ‘कॉट-एली’ ऐप का इस्तेमाल करें या सीसीआई की वेबसाइट पर जाकर नजदीकी खरीद केंद्र और एमएसपी की डिटेल देखें और अपनी शिकायतें दर्ज करें. वारंगल में सीसीआई शाखा प्रमुख ने कहा, “हम उनसे अपील करते हैं कि वे अपनी उपज एमएसपी से कम कीमत पर न बेचें.
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कपास की खेप आने तक हम अपनी खरीद प्रक्रिया जारी रखेंगे.” नाम न बताने की शर्त पर एक व्यापारी ने कहा, “कपास का बड़ा हिस्सा सीसीआई द्वारा खरीदा जा रहा है. इस समय निजी खरीदारों की भूमिका बहुत कम है.”
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