झारखंड के गुमला और हजारीबाग में होगी चाय की खेती (सांकेतिक तस्वीर-Unsplash)अब झारखंड में भी चाय की खेती होगी. इसके लिए सरकार ने दो जिलों को चिन्हित किया है. इन जिलों में गुमला और हजारीबाग शामिल हैं. पूरे झारखंड में यही दो जिले हैं जिन्हें चाय की खेती के लिए चुना गया है. इन दोनों जिलों में कुल 65 एकड़ जमीन पर चाय की खेती की जाएगी. इसके लिए हजारीबाग से बिरसा कृषि उत्पादन केंद्र का नाम चुना गया है. हजारीबाग में कुल 25 एकड़ जमीन पर इसकी खेती की जाएगी. यहां फिलहाल दो एकड़ जमीन पर खेती की जा रही है. बाकी बचे 23 एकड़ जमीन को चाय की खेती के लिए तैयार किया जा रहा है.
हजारीबाग में चाय की बागानी करने वाले कर्मचारी राजेश बताते हैं कि यहां कि मिट्टी और आबोहवा चाय के लिए पूरी तरह फिट बैठती है. इसी को देखते हुए इस जगह के 25 एकड़ क्षेत्र में चाय की खेती का काम शुरू होने जा रहा है. आने वाले समय में यहां बड़ी मात्रा में चाय का उत्पादन होगा. बहुत जल्द हजारीबाग के लोग जिले में उत्पादित चाय पी सकेंगे. हजारीबाग में अभी 2 एकड़ जमीन पर चाय बागान लगाए गए हैं, बाकी बचे क्षेत्रों में भी खेती जल्द शुरू हो जाएगी.
चाय बागानों के लिए अब तक दार्जीलिंग और असम जैसे स्थानों का ही नाम लिया जाता है. लेकिन ऐसी ही खेती झारखंड में भी शुरू होने जा रही है. इससे चाय की खेती को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे. हजारीबाग में कुछ बागान तैयार हैं और खेती भी हो रही है. लेकिन गुमला में बागान के प्लॉट तैयार नहीं होने से चाय की खेती शुरू नहीं हो पाई है. इसके लिए तैयारियों को तेज किया गया है.
चाय बोर्ड की सिफारिशों के बाद झारखंड में चाय बागानी का काम शुरू हुआ है. चाय बोर्ड के अधिकारियों ने झारखंड का दौरा कर चाय के अनुकूल मौसम और जलवायु पर विचार किया था. इस दौरे में झारखंड के दो जिलों गुमला और हजारीबाग को चाय की खेती के लिए उपयुक्त पाया गया. चाय बोर्ड से मिली मंजूरी के बाद झारखंड में दो जिलों को चाय की खेती के लिए चिन्हित किया गया. इसमें एक जिले में खेती हो रही है जबकि दूसरे में तैयारी तेज है.
चाय की खेती तीन तरह से होती है. बीज से, रोपाई से और कटिंग के माध्यम से. चाय के बीज की बुवाई करनी हो तो उसके पहले भिगोकर अंकुरित किया जाता है. इसके लिए तापमान का बहुत ध्यान रखना होता है. तापमान गड़बड़ हो तो बीजों का अंकुरण सही नहीं होगा और पौधे भी सही ढंग से नहीं उग पाएंगे. रोपाई के माध्यम से भी चाय की खेती होती है जिसमें जड़ सहित पौधे को लगाया जाता है. इसमें नर्सरी से पौधे लिए जाते हैं और बागान में लगाए जाते हैं. तीसरा तरीका कटिंग से चाय लगाने का है. इसमें चाय की झाड़ियों से जड़ वाली कटिंग ली जाती है और उसे हार्मोन में डुबाया जाता है. फिर इसे मिट्टी में लगाया जाता है. हार्मौन में डुबाने का फायदा यह होता है कि पौधा जल्द तैयार होता है. बीज और रोपाई की तुलना में कटिंग से चाय लगाना आसान काम है.(इनपुट/सुमन सिंह)
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