शकरकंद एक प्राकृतिक रूप से मीठी जड़ वाली सब्जी है. इसकी खेती पूरे साल की जाती है. लेकिन यह विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में ज्यादा होती है. शकरकंद की बाज़ार में हमेशा मांग बनी रहती हैं. किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आलू की तरह दिखने वाली शकरकंद की खेती ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है. देश के अलग-अलग राज्यों के किसान शकरकंद की खेती से कुछ दिनों में ही प्रति हेक्टेयर लाखों की मोटी कमाई कर रहे है.आने वाले वक्त में शकरकंद की खेती किसानों के लिए एक अच्छी आय का स्रोत बन सकती है.
इसकी खेती करने का सबसे अच्छा समय शकरकंद की फसल को वर्षा ऋतु में जून से अगस्त तथा रबी के मौसम में अक्टूबर से जनवरी में उगाया जा सकता है. लेकिन उत्तर भारत में शकरकंद की खेती रबी, खरीफ तथा जायद तीनों मौसम में की जा सकती है. खरीफ सीजन शुरू हो चुका है ऐसे में किसान अगर वैज्ञानिक तरीके से खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार शकरकंद की खेती के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त मानी गई है. इसकी खेती के लिए आदर्श तापमान 21 से 27 डिग्री के मध्य होना चाहिए. इसके लिए 75 से 150 सेंटीमीटर बारिस ठीक मानी गई है.
शकरकंद की खेती के अच्छी उपज लेने के लिए उचित जल निकासी वाली और कार्बनिक तत्वों से भरपूर दोमट या चिकनी दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है. शकरकंद की फसल उत्तम पैदावार लेने के लिए मिट्टी का पी. एच. 5.8 से 6.7 के बीच होना चाहिए.
पीली प्रजाति की शकरकंद, भू सोना, एस टी 14, लाल प्रजाति की शकरकंद, भू कृष्णा,एस टी 13, सफ़ेद प्रजाति की शकरकंद, पंजाब मीठा आलू 21, श्री अरुण ये शकरकंद अच्छी किस्म मानी जाती है.
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शकरकंद पौध लगाने के तुरंत बाद सिचाई करें. अगर आपने शकरकंद की रोपाई गर्मी के मौसम करी है तो सप्ताह एक बार जरूर सिचाई करे. कन्दों के अच्छे विकास और अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनाये रखे.
शकरकंद का घुन इस क़िस्म का रोग पौधों की पत्तियों पर आक्रमण करता है. इस रोग का कीट पौधों की पत्ती और बेल को खाकर नष्ट कर देता है, जिससे पौधे का विकास पूरी तरह से रुक जाता है. शकरकंद के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए रोगर दवा की उचित मात्रा का छिड़काव किया जाता है.
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