रबीनामा: उत्तर भारत में गन्ने की बुवाई आमतौर पर बसंतकालीन गन्ने और शरदकालीन गन्ने के रूप में होती है. शरदकालीन गन्ने की खेती अक्टूबर में की जाती है. गन्ना उत्पादन बढ़ाने के लिए अहम है कि किसान अक्टूबर के महीने में गन्ने की बुवाई जरूर करें. शरदकालीन गन्ने की फसल का उत्पादन बसंतकालीन गन्ने की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक होता है. गन्ने से बेहतर पैदावार मिले, इसके लिए जरूरी है कि गन्ने का बीज और खेत दोनों हेल्दी हों क्योकि गन्ने में आई लाल सड़न रोग यानी गन्ने के कैंसर रोग से किसान काफी परेशान हैं. इसलिए जरूरी है कि स्वस्थ गन्ने के बीज लिए जाएं और गन्ने के खेत को हेल्दी बनाया जाए, ताकि गन्ने की अच्छी उपज हो सके. अगर किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई करने जा रहे हैं, तो वे बीज चयन के समय किन बातों का ध्यान रखें, इसके बारे में इस रबीनामा सीरीज में जानेंगे.
डीसीएम चीनी मिल के हरदोई के उपमहाप्रबंधक ए.सिद्दीकी ने किसान तक को बताया कि गन्ने के स्वस्थ बीज से ही बेहतर उपज मिलती है. इसलिए स्वस्थ बीजों का चयन करना चाहिए क्योंकि गन्ने का लाल सड़न एक कवक रोग है जो दो तरह से फैलता है. यह गन्ने के बीज से या जमीन से फैलता है. इसलिए हमेशा गन्ने का बीज स्वस्थ और रोगमुक्त खेत से ही लेना चाहिए. कभी भी लाल सड़न प्रभावित खेत से गन्ना बीज न लें. अगर खेत में अन्य प्रजाति का कोई झुंड हो तो बीज काटने से पहले उसे हटा दें. गन्ने का ऊपरी 1/3 भाग बीज के लिए बेहतर होता है. बीज के लिए 07 से 09 माह पुराना स्वस्थ गन्ना और जिसमें प्रति गन्ना 10-12 कलियां हों उसका चयन करना चाहिए.
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ए.सिद्दकी ने बताया कि गन्ने के बीज के चयन में कोई गलती न करें. थोड़ी सी भी गलती गन्ने की पैदावार को कम कर सकती है. इसलिए गन्ने के बीज के लिए तीन आंख वाली गुल्लियों की जगह दो आंख वाली गुल्लियां बेहतर होती हैं. पतले गन्ने और गन्ने के बीज के टुकड़े में छेद हो तो उसको बीज में उपयोग नहीं करना चाहिए. गन्ने के बीज से पत्तियां हटा देनी चाहिए. गन्ने की गुल्लियों को तिरछा नहीं कटना चाहिए, हमेशा सीधा काटना चाहिए. बीज के टुकड़े काटने का लाभ यह है कि आंख की सुसुप्ता अवस्था ब्रेक हो जाती है जिस कारण जमाव शीघ्र होता है. इससे शत-प्रतिशत बीज के जमाव की संभावना बनी रहती है. उन्होंने कहा कि इस बात का जरूर ध्यान देना चाहिए कि गन्ना बीज बोने से पहले ही उर्वरक का मिश्रण गन्ने की कुंड में डाल दें. उसके उपरांत ही बीज की बुवाई करें, अन्यथा उर्वरक के दाने गन्ने की आंख के ऊपर गिरने पर आंख को नुकसान हो सकता है जिससे गन्ने का जमाव नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के कृषि वैज्ञानिक और पादप रोगविज्ञानी डॉ. संजीत कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में कैंसर की तरह फैली लाल सड़न बीमारी से निजात पाने के लिए किसान शरद ऋतु में गन्ने की बुवाई कर रहे हैं तो उन्हें गन्ने के बीज और गन्ने के खेत को रोगजनक से मुक्त रखना चाहिए, गन्ने के लाल सड़न रोग से छुटकारा पाने के लिए स्वस्थ बीजों का चयन करने के साथ-साथ गन्ने के बीजों को फफूंदनाशकों से उपचारित करना चाहिए. इसके गन्ने के बीज को उपचारित करने के लिए कवकनाशी थायोफेनिने, हेक्साकोनाज़ोल, बाविस्टिन या प्रोपोकोनाज़ोल का उपयोग करें. एक लीटर पानी में 01 ग्राम कवकनाशी का घोल बनाएं और इस घोल में गन्ने के बीज को रात भर भिगो दें ताकि बीज अच्छी तरह से उपचारित हो जाए. खेत में रोगजनकों से छुटकारा पाने के लिए खेत को ट्राइकोड्रामा और स्यूडोमोनास से उपचारित करना चाहिए. इसके लिए इन दवाओं को गोबर की खाद में मिलाकर अंतिम जुताई के समय प्रयोग करना चाहिए. इससे दीमक जैसे कई भूमिगत कीटों से बचाव होता है. गन्ने के लाल सड़न रोग की रोकथाम के लिए गन्ने की C0-238 किस्म को खेत में लगाना चाहिए. किसानों को अन्य किस्मों का भी चयन करना चाहिए.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि लाल सड़न गन्ने की एक खतरनाक बीमारी है. यह फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देती है. वर्तमान में सीओ 238 प्रजाति इस रोग से प्रभावित हो गई है. अतः इसके स्थान पर गन्ने की अन्य प्रजातियां बोनी चाहिए. इसके लिए उत्तर प्रदेश के किसान को कोशा 235, कोलाख-201, कोशा 15023, कोशा 17231 का चयन करना चाहिए. इन किस्मों में उत्पादन और चीनी की मात्रा दोनों अधिक होती है.
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संजीव पाठक ने कहा कि अगर कोई किसान बड़े क्षेत्रफल में गन्ने की खेती कर रहा है तो उसे दो से तीन गन्ने की किस्म की बुवाई करनी चाहिए. इसके अलावा गन्ने की किस्म कोशा 0767, कोशा 8432, कोशा 97264, कोष 08279, कोस. 9636, और उ.प्र. 9530 का चयन करके और इनकी अक्टूबर महीने में बुवाई करके गन्ने की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
गन्ने की बुवाई नालियों या ट्रेन्च में गहराई में की जाती है. इसलिए खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से लगभग 10-12 इंच गहराई तक करना चाहिए. इसके बाद 04-05 जुताई कल्टीवेटर से करके मिट्टी भुरभुरी और ढेला मुक्त बनाना जरूरी होता है. गन्ने के अच्छे जमाव के लिए भूमि में पर्याप्त नमी भी होना जरूरी है जिसे पलेवा करके बनाया जा सकता है. इसमें 02 आंख वाली गुल्लियों की बुवाई की जाती है या बड चीप से तैयार गन्ने की नर्सरी पौध को मुख्य खेत में निश्चित दूरी पर रोपण किया जाता है. इस तकनीक में किसान गन्ने के बीच में अन्तरासस्य फसलें जैसे दलहन, तिलहन, सब्जी और नकदी फसलें आसानी से उगाकर अतिरिक्त लाभ भी ले सकते हैं.
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