देश में बड़ी संख्या में किसान गन्ने की खेती करते हैं. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक समेत कुछ राज्यों में सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादन होता है. किसानों को गन्ना के बंपर उत्पादन के लिए कई तरह की बीमारियों से फसल को बचाना जरूरी होता है. इन बीमारियों में पोका बोइंग, लाल सड़न रोग और उकठा रोग गन्ना की फसल को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. इन बीमारियों की रोकथाम अगर सही समय पर न की जाए तो फसल पूरी तरह खराब भी हो सकती है.
पोका बोइंग गन्ने की सबसे खतरनाक बीमारी है, जिसमें गन्ने पर पीले धब्बे पड़ जाते हैं, पत्तियां सिकुड़ कर मुड़ जाती हैं और डंठल का ऊपरी हिस्सा खराब हो जाता है. पोका बोइंग बीमारी लगने पर पूरी गन्ने की फसल बर्बाद हो सकती है. ऐसे में पोका बोइंग बीमारी से बचाव के लिए विशेषज्ञ बताते हैं कि स्वस्थ गन्ने के डंठल या बीज का इस्तेमाल करें, ऊपरी हिस्से को चाकू से काट लें या उखाड़ कर फेंक दें और गन्ने को जड़ों से निकालकर जला दें. इन टिप्स से किसानों को पोका बोइंग बीमारी से काफी हद तक राहत मिलेगी.
ये भी पढ़ें: 93 दिन में पककर तैयार हो जाती है धान की यह किस्म, पंजाब में किसानों की बनी पहली पसंद, जानें वजह
लाल सड़न गन्ने की एक खतरनाक बीमारी है, जिसमें गन्ना पूरी तरह से सड़ कर लाल हो जाता है. इसके बाद गन्ना खाने लायक नहीं रहता और न ही इससे किसी तरह का कोई उत्पाद बनता है. इस बीमारी का कारण कोलेटोट्राइकम फाल्काटम नामक फंगस है. लाल सड़न या रेड रॉट रोग को खेत से दूर रखने के लिए एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डाइफेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी 150-200 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें, एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 23% एससी 200 मिली प्रति एकड़ डालें, मैन्कोज़ेब 40% + एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 7% ओएस 600 मिली प्रति एकड़ डालें और एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11.00% टेबुकोनाज़ोल 18.30% एससी 300 मिली प्रति एकड़ डालें.
ये भी पढ़ें: खुशखबरी: बिहार के गन्ना किसानों को मुआवजा देगी सरकार, सर्वे के बाद खाते में आएगा पैसा
गन्ना विल्ट रोग या उकठा रोग में गन्ने में एक तरह का फंगस लग जाता है. इसके लक्षण गन्ने में मानसून के दौरान और उसके बाद देखने को मिलते हैं. ऐसे में गन्ने के अंदर से विल्ट बढ़ने लगता है और जब यह बढ़ता है तो गन्ने को खोखला कर देता है. गन्ने की पत्तियों का पीला पड़ना, तने का सूखना, गन्ने का वजन कम होना इसके मुख्य लक्षण हैं. विल्ट रोग लगने पर गन्ने को ज़मीन की सतह से काट दें, गन्ने में मौजूद स्टंप को खत्म करना ही सही विकल्प है. अगर गन्ने में विल्ट रोग फैल गया है तो जल्द ही फसल अवशेषों को जला दें वरना यह मिट्टी को भी खराब कर सकता है.
कंडुआ रोग गन्ने की फसल में लगने वाला एक रोग है, जिससे गन्ने के पौधे अंकुरित हो जाते हैं. ऐसे में गन्ना पतला और बौना हो जाता है. इस रोग के कारण पैदावार कम हो जाती है, किसानों को लाभ नहीं मिल पाता. बल्कि फसल को नुकसान होता है. ऐसे में कंडुआ रोग से फसल को नष्ट होने से बचाने के लिए संक्रमित पौधों को पॉलीथिन बैग में इकट्ठा करके जला दें, प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी का छिड़काव करें और फसल चक्र प्रक्रिया भी अपनाएं. इन टिप्स की मदद से आपकी गन्ने की फसल काफी हद तक बेहतर हो जाएगी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today