Ethanol Production: लगातार 5 रुपये लीटर के घाटे में चल रही शुगर इथेनॉल इंडस्ट्री, इस्मा ने गिनाई परेशानी

Ethanol Production: लगातार 5 रुपये लीटर के घाटे में चल रही शुगर इथेनॉल इंडस्ट्री, इस्मा ने गिनाई परेशानी

Ethanol Production केन्द्र सरकार ने ईथेनॉल सप्लाई वर्ष 2025-26 के लिए 1,050 करोड़ लीटर का टेंडर जारी किया था. जबकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) ने सिर्फ 1048 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदने का ही फैसला किया है. जबकि टेंडर के जवाब में इथेनॉल उत्पादन करने वाली डिस्टिलरियों ने 1776 करोड़ लीटर इथेनॉल की पेशकश की थी.

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Ethanol Production: लगातार 5 रुपये लीटर के घाटे में चल रही शुगर इथेनॉल इंडस्ट्री, इस्मा ने गिनाई परेशानीइथेनॉल में आ रही परेशानियों के बारे में जानकारी देते इस्मा के पदाध‍िकारी.

Ethanol Production ‘गन्ने और शुगर के वेस्ट से बनने वाला इथेनॉल लगातार घाटे में जा रहा है. हर एक लीटर पर पांच रुपये का नुकसान हो रहा है. जो मशीन हमने इ‍थेनॉल बनाने के लिए मंगाकर लगाई हैं वो भी शांत खड़ी हैं. हमारी इथेनॉल बनाने की क्षमता 900 करोड़ लीटर की है. नीति आयोग के रोडमैप 2020-25 को देखते हुए ही हमने इथेनॉल उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है. रोडमैप के मुताबिक इथेनॉल उत्पादन में हमारी हिस्सेदारी 55 फीसद की थी. लेकिन अब हमे मिल क्या रही है 28 फीसद की हिस्सेदारी.’ 

ये कहना है निजी चीनी उद्योग संगठन इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) का. 29 अक्टूबर को नई दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस्मा ने अपने इस दर्द को बयां किया है. इस्मा से जुड़े पदाधि‍कारियों के मुताबिक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) की इस नीति का असर किसानों के भुगतान पर भी पड़ सकता है. 

इस्मा ने अपनी डिमांड के संबंध में रखा ये आंकड़ा 

इस्मा ने इथेनॉल उत्पादन के संबंध में आंकड़ा पेश किया है. संगठन का कहना है कि इथेनॉल आपूर्ति वर्ष  2025-26 जो नंवबर से शुरू के अंतर्गत चीनी-आधारित फीडस्टॉक्स से केवल 289 करोड़ लीटर इथेनॉल आवंटित किया गया है. ये ओएमसी की कुल जरूरत का सिर्फ 28 फीसद है. जबकि अनाज से बनने वाले इथेनॉल को 72 फीसद यानि (760 करोड़ लीटर) उत्पादन का आवंटन किया गया है. यह तब है जब शुगर सेक्टर ने ई20 को देखते हुए 900 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल उत्पादन के लिए 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर दिया है. और ये कदम नीति आयोग के 2020-25 के जैव ईंधन रोडमैप 2021 के मुताबकि है. जिसमें अनुमान लगाया गया है कि शुगर सेक्टर 2025-26 तक 20 फीसद मिश्रण (E20) की कुल 1016 करोड़ लीटर इथेनॉल जरूरत में करीब 55 फीसद (550 करोड़ लीटर) का योगदान देगा.

ऐसे हो रहा है 5 लीटर का नुकसान

इस्मा ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जानकारी देते हुए कहा कि इथेनॉल बनाने की क्षमता और मौजूदा उत्पादन के आंकड़े में आ रहे बड़े गैप की वजह से सीधा-सीधा पांच रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है. इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि इथेनॉल उत्पादन की लागत बी-हैवी गुड़ से 66.09 रुपये प्रति लीटर आती है. वहीं गन्ने के रस से 70.70 रुपये प्रति लीटर आ रही है. जबकि बिक्री 60.73 रुपये और 65.61 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से हो रही है. ऐसे में लगातार हो रहा ये नुकसान शुगर सेक्टर के मुनाफे को कम कर रहा है और गन्ना आधारित फीडस्टॉक्स से इथेनॉल उत्पादन को आर्थिक रूप से अस्थिर बना रहा है. इसका एक बड़ा नुकसान ये भी हो सकता है कि इसके चलते चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति और गन्ना किसानों को समय पर होने वाले भुगतान पर असर डाल सकता है. 

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