तेलंगानामें धान खरीद में देरी से बढ़ी किसानों की मुश्किलें देश के उत्तरी राज्यों में जहां धान की खरीद जारी है तो वहीं दक्षिण भारत के राज्यों में किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसान खरीद में देरी से काफी परेशान हैं. जहां तमिलनाडु में बारिश ने किसानों को परेशान किया है तो वहीं तेलंगाना में सेंटर पर किसानों की उपज पड़ी है और कोई खरीदने ही नहीं आ रहा है. एक ऐसा ही मामला तेलंगाना के नसरुल्लाबाद में एक किसान तो पुलिसवाले के पैरों में ही गिर पड़ा. जानिए क्या है सारा माजरा.
तेलंगाना में इस सीजन में भी पूरे राज्य में धान की खरीद में किसानों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. नसरुल्लाबाद में धान खरीद केंद्र (पीपीसी) पर परेशान किसान पुलिसवालों के पैरों में गिर पड़े. किसानों ने उनसे दखल देने और खरीद अधिकारियों को उनका स्टॉक उठाने का निर्देश देने की गुहार लगाई. देरी से परेशान किसानों ने धमकी दी कि अगर चावल मिलों ने उनका माल खरीदने से मना कर दिया तो वो अपनी जान दे देंगे. उन्होंने शनिवार को बोम्मादेवरापल्ली चौराहे पर सड़क पर बैठकर नारे लगाए और विरोध प्रदर्शन किया.
बोम्मादेवरापल्ली पीपीसी में कुल 211 किसान रजिस्टर्ड थे. इनमें से 31 किसानों को 2,099 क्विंटल धान बेचने के लिए गिरिधर इंडस्ट्रीज को अलॉट किया गया. जबकि दूसरे 2,000 क्विंटल सुगुना राइस मिल को टैग किए गए. लेकिन, अधिकारियों ने खराब क्वालिटी और फेयर एवरेज क्वालिटी (FAQ) नॉर्म्स को पूरा न करने का हवाला देते हुए सुगुना राइस मिल के लिए स्टॉक खरीदने से मना कर दिया. इस फैसले से गुस्साए किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि अधिकारी मिल को उनका धान खरीदने का निर्देश दें. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि केवल एफएक्यू स्टैंडर्ड्स को पूरा करने वाला और एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन ऑफिसर्स (एईओ) की तरफ से वेरिफाइड साफ स्टॉक ही स्वीकार किया जाएगा.
बाद में जिले के अधिकारियों की एक टीम ने बोम्मादेवरापल्ली पीपीसी का इंस्पेक्शन किया और दावा किया कि मामला सुलझ गया है. उन्होंने कहा कि खरीद ठीक से चल रही है, जिले में 11,931 मीट्रिक टन धान पहले ही खरीदा जा चुका है, जिसमें से 11,201 मीट्रिक टन मिलों को भेज दिया गया है. आपको बता दें कि तेलंगाना को दक्षिण का 'धान का कटोरा' कहा जाता है. तेलंगाना करीब 44 लाख एकड़ में धान की खेती की जाती है. यह आंकड़ा ही इसे चावल पैदा करने वाले एक बड़े राज्य के तौर पर इसकी जगह बनाने में बड़ा योगदान करता है.
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