Tomato Farming: एक हेक्टेयर में कितना लगता है टमाटर का बीज, कैसे होगा बंपर उत्पादन?

Tomato Farming: एक हेक्टेयर में कितना लगता है टमाटर का बीज, कैसे होगा बंपर उत्पादन?

टमाटर की खेती से बंपर मुनाफा कमाएं! जानें एक हेक्टेयर में कितना बीज लगता है, कौन-सी मिट्टी और जलवायु उपयुक्त है, किस्मों का चयन, खाद-सिंचाई व रोग नियंत्रण के सर्वोत्तम तरीके.

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Tomato Farming: एक हेक्टेयर में कितना लगता है टमाटर का बीज, कैसे होगा बंपर उत्पादन?टमाटर की खेती ने बदली किस्मत

भारत में टमाटर की खेती एक लाभकारी व्यवसाय बन चुकी है. यह फसल हर मौसम में बाजार में मांग में रहती है. अगर किसान सही तकनीक और प्रबंधन अपनाएं तो एक हेक्टेयर में टमाटर की खेती से लाखों रुपये की आमदनी प्राप्त की जा सकती है. आइए जानते हैं- टमाटर की खेती के लिए कौन-सी मिट्टी उपयुक्त है, कितना बीज लगता है, और बंपर उत्पादन के लिए क्या-क्या जरूरी है.

खेती के लिए सही मिट्टी

टमाटर की खेती के लिए ऐसी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जल निकास की सुविधा अच्छी हो. रेतीली दोमट मृदा, चिकनी काली कपासीय मृदा और लाल मृदा इस फसल के लिए उत्तम होती हैं. हालांकि, अगर मिट्टी में जैविक पदार्थ अधिक मात्रा में मौजूद हों, तो पैदावार बेहतर होती है. मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए. खेत की मिट्टी भुरभुरी, उपजाऊ और खरपतवार मुक्त होनी चाहिए.

जलवायु और तापमान 

टमाटर गर्म मौसम की फसल है, लेकिन अत्यधिक गर्मी या ठंड दोनों ही इसके लिए हानिकारक हैं. यह फसल 18 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अच्छे से बढ़ती है. रबी सीजन के लिए टमाटर की बुवाई और रोपाई अक्टूबर से नवंबर के अंत तक की जा सकती है. ध्यान रखें कि टमाटर की पौध पाला सहन नहीं कर सकती, इसलिए ठंड से बचाव आवश्यक है.

किस्मों का चयन 

उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मों का चयन टमाटर की अच्छी खेती के लिए बहुत जरूरी है. भारत में लोकप्रिय उन्नत किस्में हैं- पूसा दिव्या, पूसा गौरव, पूसा संकर 1, पूसा संकर 2, पूसा हाइब्रिड, अर्का विकास आदि. संकर किस्मों से आमतौर पर उत्पादन अधिक मिलता है, लेकिन इनके बीज महंगे होते हैं.

बीज की मात्रा और रोपाई की विधि 

एक हेक्टेयर खेत की रोपाई के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है.

  • उन्नत किस्मों के लिए 350–400 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है.
  • संकर किस्मों के लिए 200–250 ग्राम बीज पर्याप्त होता है.
  • पौध तैयार होने के बाद उसे 60 सें.मी. की दूरी पर बनी पंक्तियों में और पौधे से पौधे की दूरी 45–60 सें.मी. रखकर लगाना चाहिए. रोपाई शाम के समय करना बेहतर रहता है ताकि पौधों को धूप से नुकसान न पहुंचे.

पोषक तत्व प्रबंधन

अच्छी पैदावार के लिए संतुलित पोषण बहुत जरूरी है.

  • देशी किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फॉस्फोरस और 60 कि.ग्रा. पोटाश देना चाहिए.
  • संकर किस्मों के लिए 213 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 240 कि.ग्रा. फॉस्फोरस और 250 कि.ग्रा. पोटाश की सिफारिश की जाती है.
  • रोपाई के समय नाइट्रोजन देने के लिए यूरिया की जगह अमोनियम सल्फेट या अन्य मिश्रित खादों का उपयोग किया जा सकता है. शेष नाइट्रोजन को टॉप ड्रेसिंग के रूप में दो या तीन बार में देना लाभकारी रहता है.

रोग और कीट प्रबंधन

टमाटर की फसल में झुलसा रोग (Blight) एक आम समस्या है. यदि इसके लक्षण दिखाई दें, तो मैंकोजेब (Mancozeb) 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा, कीट नियंत्रण के लिए समय-समय पर नीम तेल या जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें.

सही किस्म का चयन, उचित पोषण, और रोग प्रबंधन के साथ टमाटर की खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 600 से 800 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. यदि वैज्ञानिक तकनीक और सिंचाई प्रबंधन अपनाया जाए, तो यह फसल किसानों के लिए उच्च लाभदायक व्यवसाय सिद्ध हो सकती है.

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