पंजाब में पराली जलाने के मामले में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. एक दिन के अंदर ही पूरे प्रदेश में पराली जलाने के 123 मामले दर्ज किए गए हैं. खास कर अमृतसर जिले में पराली जलाने की सबसे अधिक 50 घटनाएं दर्ज की गईं. इसके बाद पटियाला में 18, तरनतारन में 13, संगरूर में 11 और फिरोजपुर में पराली जलाने के 11 मामले सामने आए हैं. इससे राज्य सरकार की चिंताएं बढ़ती जा रही है. हालांकि, पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए अधिकारी गांवों में जाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक अमृतसर जिले में सबसे अधिक पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. जिले में अभी तक 157 घटनाएं सामने आ चुकी हैं. यही वजह है कि राज्य भर में पराली जलाने की घटनाओं में अमृतसर का योगदान 40 प्रतिशत है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आदर्श पाल विग के अनुसार, स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. पिछले साल की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में 63 प्रतिशत की कमी आई है. इस साल 15 सितंबर से अब तक पराली जलाने की कुल 390 घटनाएं दर्ज की गई हैं. पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 1,037 थी.
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आदर्श पाल विग ने कहा कि हालांकि, बोर्ड ने दंडात्मक प्रक्रिया को तेज कर दिया है. राज्य भर में अब तक 212 डिफाल्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. 89 डिफाल्टरों पर 2.72 लाख रुपये का पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है और अब तक 2.5 लाख रुपये वसूले गए हैं. राजस्व विभाग ने पराली जलाने वालों के भूमि अभिलेखों में 69 रेड एंट्री दर्ज की हैं. ऐसे मामलों में कुल 10 एफआईआर भी दर्ज की गई हैं. पटियाला जिले में किसान धान की खरीद और उठान की कथित धीमी गति के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पराली में आग लगा रहे हैं.
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि अमृतसर जिले की मंडियों में धान की आवक और खरीद पिछले हफ्ते के मुकाबले बढ़ गई है. बुधवार शाम को अनाज मंडियों में 16,653 मीट्रिक टन धान की आवक हुई है. खास बात यह है कि सरकारी खरीद एजेंसियों और कमीशन एजेंटों ने भी उठान प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू कर दिया है. उपायुक्त साक्षी साहनी ने कहा कि खरीद एजेंसियों को अनाज उठाए जाने के 48 घंटे के भीतर किसानों को उनके धान के बदले भुगतान करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि एजेंसियों ने अब तक किसानों को 7.97 करोड़ रुपये वितरित किए हैं.
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