हरियाणा की मंडियों में गेहूं और सरसों की आवक तेज बनी हुई है. किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंच रहे हैं और सरकारी खरीद का फायदा उठा रहे हैं. इसी में एक मंडी हिसार जिले की है. यहां का प्रशासन दावा करता है कि मंडी में किसानों को हर तरह की सुविधा दी जा रही है जिससे कि उन्हें उपज बेचने में कोई दिक्कत नहीं आए. लेकिन सच्चाई ये है कि यहां की अनाज मंडी में कई तरह की खामियां नजर आ रही हैं. किसान इन खामियों से हर दिन दो-चार हो रहे हैं.
इसमें सबसे नई समस्या आवारा पशुओं का है जो मंडी में झुंड के झुंड चलते हैं. मंडी में दिन भर ये छुट्टा जानवर एक दूसरे से हिंसक लड़ाई करते हैं जिससे आम लोगों पर भी खतरा मंडराता रहता है. प्रशासन की तरफ से दावे कई किए जाते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि अभी तक इन जानवरों को रोकने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है. लेबर यूनियन और किसानों ने प्रशासन से कई बार आग्रह किया है कि इन जानवरों से निजात दिलाया जाए, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
एक स्थानीय किसान राज कुमार बेनीवाल जो पिछले चार दिनों से अपनी फसल बेचने के लिए मंडी में डेरा डाले हुए हैं, ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, अनाज मंडी में आवारा जानवरों की समस्या हर गुजरते दिन के साथ बढ़ती जा रही है. आवारा पशुओं के कारण कई दुर्घटनाएं होती हैं. जिला प्रशासन और बाजार समिति को तुरंत इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए.
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एक अन्य किसान महेंद्र पाल ने कटाई के मौसम के दौरान अनाज मंडी में आवारा जानवरों की संख्या में वृद्धि पर चिंता जाहिर की. सिरसा आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोहर लाल मेहता ने कहा, “अनाज मंडी में आवारा जानवरों की मौजूदगी चिंता का कारण है. गायों के अलावा, मंडी में सांड भी हैं, जो अक्सर आक्रामक हो जाते हैं. बाजार समिति को समस्या के बारे में बता दिया गया है. उन्होंने कहा कि डीसी आरके सिंह के साथ बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने समस्या के जल्द समाधान का आश्वासन दिया है.
मेहता ने कहा कि सिरसा मंडी में गेहूं का उठान धीमा है. उन्होंने कहा कि फसल उठाने के लिए जिम्मेदार ठेकेदार पर्याप्त गाड़ियां उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सिरसा मंडी पूरी तरह से भीड़भाड़ वाली है.
सिरसा मार्केट कमेटी के सचिव वीरेंद्र मेहता ने कहा, मौजूदा समय में मंडी में मजदूरों की कमी है. एक-दो दिन में मजदूरों की कमी दूर करने और अनाज मंडी में सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. आवारा जानवरों को मंडी में घुसने से रोकने के लिए उपाय किए जाएंगे.
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उन्होंने कहा, इस साल जिले में 90 लाख क्विंटल गेहूं खरीद का लक्ष्य है. हालांकि, फसल की बढ़ती आवक से पता चलता है कि यह आंकड़ा 1 करोड़ क्विंटल से अधिक हो सकता है. इस बीच, मंडियों में अव्यवस्था ने किसानों, मजदूरों और व्यापारियों को परेशान कर दिया है. गुस्साए किसानों ने जिला प्रशासन को धरने की चेतावनी दी. इसके बाद डीसी ने संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाई और 24 घंटे के भीतर 30 लाख बैग गेहूं उठाने का लक्ष्य रखा.
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