बेमौसम बारिश से सिर्फ हरियाणा और पंजाब में ही फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा है, बल्कि दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना भी इससे अछूता नहीं है. कहा जा रहा है कि तेलंगाना में दो दिनों तक रूक-रूक कर अलग- अलग जिलों में बारिश और ओलावृष्टि होने से हजारों एकड़ में लगी फसल चौपट हो गई है. इससे किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हुआ है. पीड़ित किसानों ने राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना के 6 जिलों में बारिश और ओलावृष्टि ने बहुत अधिक तबाही मचाई है. नयनापेट, कामारेड्डी, निज़ामाबाद, नागरकुर्नूल, यदाद्री-भुवनागिरी और सिद्दीपेट जिले में बारिश और ओलावृष्टि के कारण 2,220 एकड़ भूमि में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं. खास बात यह है कि इसकी जानकारी प्रारंभिक रिपोर्टों के आधार पर खुद राज्य सरकार ने दी है. कृषि मंत्री थुम्मला नागेश्वर राव ने शनिवार को अधिकारियों से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और किसानों से फसल के नुकसान की मात्रा के बारे में विवरण इकट्ठा करने को कहा है.
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इसके अलावा कृषि मंत्री थुम्मला नागेश्वर राव ने कृषि और बागवानी अधिकारियों को धान की कटाई को लेकर हाई अलर्ट पर रहने के लिए कहा है. जबकि किसानों को असामयिक बारिश के कारण फसल के नुकसान को कम करने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर क्षेत्रीय स्तर के अधिकारियों के साथ समन्वय करके यह सुनिश्चित करेंगे कि धान की फसल भीग न जाए और अन्य फसलों को भीगने से रोकने के उपाय करें. मंत्री ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए किसानों को 2 लाख से अधिक तिरपाल कवर पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं.
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि तमिलनाडु के इरोड जिले में आंधी और बारिश ने भारी तबाही मचाई है. कहा जा रहा है कि तेज हवा बहने से केले के हजारों पेड़ क्षतिग्रस्त हो गए हैं. ऐसे में किसानों को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, किसानों की मांग पर सरकार ने फसल नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वे का काम शुरू कर दिया है. अधिकारियों का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट आने के बाद किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. किसानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.
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