मध्य प्रदेश सरकार ने सोयाबीन किसानों के लिए उपज खरीद की तारीखें जारी कर दी हैं. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सोयाबीन किसान उपज बिक्री के लिए 15 अक्टूबर तक रजिस्ट्रेशन जरूर करा लें. दिसंबर महीने तक उपज खरीद जारी रहेगी. किसानों को उपज की सही कीमत देने के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की मंजूरी दी है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2024-25 के लिए सोयाबीन के एमएसपी में 292 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोत्तरी भी की है.
मध्य प्रदेश सरकार ने सोयाबीन किसानों को बड़ी राहत देते हुए रजिस्ट्रेशन की तारीख को 10 दिन बढ़ाकर 15 अक्तूबर कर दिया है. इससे पहले अंतिम तिथि 4 अक्तूबर थी. मध्य प्रदेश कृषि विभाग की ओर से किसानों से कहा गया है कि सोयाबीन फसल बेचने के लिए किसान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जरूर करा लें, रजिस्ट्रेशन विंडो 25 सितंबर 2024 को खुलेगी और 20 दिन तक यानी 15 अक्तूबर 2024 तक प्रक्रिया पूरी होने के लिए खुली रहेगी.
राज्य सरकार के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसानों की सोयाबीन उपज की सरकारी खरीद 25 अक्तूबर से शुरू होगी और करीब 2 महीने तक यानी 31 दिसंबर तक खरीद प्रक्रिया जारी रहेगी. दिसंबर तक खरीद जारी रखने की डेडलाइन की वजह सभी किसानों की उपज खरीदना है. उपज खरीद के लिए राज्यभर में जिलावार 20 से ज्यादा क्रय केंद्र बनाए गए हैं, जहां किसान अपनी फसल बेच सकेंगे.
मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि सोयाबीन फसल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी. बीते सप्ताह केंद्र सरकार ने एमएसपी पर खरीद की मंजूरी दी है. केंद्र सरकार ने 2024-25 सीजन के लिए सोयाबीन उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल रखा है, जो 2023-24 सीजन के दौरान 4600 रुपये प्रति क्विंटल था. इस बार किसानों को ज्यादा लाभ देने के लिए केंद्र ने सोयाबीन के एमएसपी में 292 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाए हैं. वहीं, इससे पहले 2021-22 सीजन के लिए 350 रुपये बढ़ाए गए थे और 2023-24 सीजन के लिए एमएसपी रेट में 300 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई थी.
सोयाबीन की खेती में मध्य प्रदेश सबसे आगे है. वहीं, इस खरीफ सीजन में देशभर में किसानों ने सोयाबीन की जमकर खेती की है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के 23 सितंबर के ताजा आंकड़ों के अनुसार देशभर में 125.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों ने सोयाबीन की बुवाई की है, जो पिछले खरीफ सीजन में 123.85 की तुलना में करीब 2 लाख हेक्टेयर अधिक है.
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