खरीफ सीजन की फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है, जबकि रबी फसलों की बुवाई के लिए किसानों ने तैयारियां तेज कर दी हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि बुवाई से पहले खेत की मिट्टी की जांच जरूर करा लें. मिट्टी की जांच के लिए किसानों से सैंपल भरने का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है क्योंकि सटीक नतीजे इस पर निर्भर करते हैं. बता दें कि मिट्टी की जांच के लिए गांव स्तर पर सर्वाधिक सॉइल टेस्ट लैब (Soil Test Lab) कर्नाटक में 291 हैं. इसके बाद नागालैंड, तेलंगाना, बिहार, झारखंड में भी मिट्टी जांच के लिए लैब हैं.
रबी सीजन में गेहूं, आलू, सरसों, जौ और चना आदि फसलों की बुवाई के लिए खेतों की तैयारी शुरू हो गई है. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से मिट्टी की जांच जरूर कराने की सलाह दी है. राजस्थान सरकार के कृषि विभाग की ओर से किसानों को कहा गया है कि मिट्टी की जांच करवाने से पहले सैंपल भरने का सही तरीका किसानों को जानना जरूरी, ताकि सटीक रिजल्ट हासिल हो सके और खेत में उचित उर्वरक या पोषक तत्वों का छिड़काव किया जा सके.
कृषि विभाग की ओर से किसानों को कहा गया है कि खेत की मिट्टी के बेहतर स्वास्थ्य और अच्छी उपज के लिए मिट्टी की जांच करवाना अत्यंत जरूरी है. राज्य के कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालयों में किसान मुफ्त में मिट्टी की जांच करा सकते हैं. इसके अलावा किसान अपने नजदीकी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में भी नमूना ले जाकर दे सकते हैं और मुफ्त जांच की सुविधा ले सकते हैं.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के दिसंबर 2023 के आंकड़े बताते हैं कि खेतों की मिट्टी की जांच के लिए गांव स्तर पर सर्वाधिक सॉइल टेस्ट लैब (Soil Test Lab) कर्नाटक में 291 हैं. इस वजह से यहां के किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराने में भी आगे हैं. इसके बाद नागालैंड में 74 और बिहार में 72 गांव स्तरीय सॉइल टेस्ट लैब हैं. वहीं, मिट्टी की जांच के लिए सबसे ज्यादा 2050 मिनी लैब तेलंगाना में हैं. इसके बाद आंध्र प्रदेश में 1328 और झारखंड में 1300 मिनी सॉइल टेस्ट लैब हैं. जबकि, राज्य स्तरीय स्टेटिक लैब की संख्या सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 213 है.
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