किसानों को कितना मिल रहा है सोयाबीन का दामदेश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक महाराष्ट्र की मंडियों में नई फसल की आवक शुरू हो गई है. इस बीच अभी से दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के पार पहुंच गया है. इससे सोयाबीन उत्पादक किसान खुश हैं. इस समय राज्य की ज्यादातर मंडियों में इसका दाम 4700 से 4800 रुपये प्रति क्विंटल के रेंज में चल रहा है. जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए सरकार ने इसकी एमएसपी 4600 रुपये प्रति क्विंटल तय की हुई है. सरकार का मानना है कि किसानों को इसकी उत्पादन लागत 3029 रुपये प्रति क्विंटल पड़ती है. इस साल सोयाबीन की एमएसपी में सरकार ने 300 रुपये वृद्धि की है. ऐसा नहीं है कि सभी मंडियों में अच्छा भाव मिल रहा है.
कुछ मंडियों में दाम एमएसपी से कम भी है. जिसमें जल्द ही सुधार की उम्मीद जताई जा रही है. महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 25 सितंबर को औरंगाबाद जिले की सिल्लोड मंडी में सिर्फ 8 क्विंटल ही सोयाबीन की आवक हुई थी. यहां पर अधिकतम दाम 4800 रुपये प्रति क्विंटल रहा. वाशिम जिले की कारंजा मंडी में 3500 क्विंटल की आवक हुई. यहां पर औसत दाम 4710 रुपये रहा. पिंपलगांव पालखेड़ में औसत भाव 4870 रुपये प्रति क्विंटल तक रहा. किसानों का मानना है कि सरकार अगर बाजार में कोई हस्तक्षेप नहीं करती है तो इस साल दाम में तेजी रहने के आसार हैं. क्योंकि सूखे की वजह से फसल का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है.
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बीड जिले में स्थित कैज मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम एमएसपी से कम मात्र 3200 रुपये प्रति क्विंटल रहा. यहीं की ही किल्ले धारूर मंडी में सिर्फ 2530 रुपये न्यूनतम दाम रहा. बुलढाणा की नांदुरा मंडी में न्यूनतम भाव 4301 रुपये रहा. नागपुर की कटोल मंडी में 3100 रुपये का न्यूनतम भाव दर्ज किया गया. कुछ मंडियों में 4200 और 4400 रुपये का भी भाव चल रहा है. देखना यह है कि आने वाले दिनों में इन मंडियों में दाम बढ़ता है या किसानों को निराशा हाथ लगती है. सोयाबीन की उत्पादकता जड़ सड़न, पीला मोजेक सहित मौसमी कीटों और बीमारियों के प्रकोप से इस बार प्रभावित हुई है. ऐसे में अगर दाम अच्छा नहीं मिला तो किसानों को दोहरी मार पड़ेगी.
सोयाबीन एक ऐसी फसल है जिसकी गिनती तिलहन और दलहन दोनों फसलों में होती है. भारत इन दोनों के ही मामले में आत्मनिर्भर नहीं है. हम खाद्य तेल और दालें दोनों आयात कर रहे हैं. ऐसे में यह फसल देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन यह भी सच है कि कई बार इसके उत्पादकों को उचित भाव नहीं मिलता. भारत में सोयाबीन का व्यावसायिक उत्पादन 70 के दशक से शुरू हुआ. इसकी खेती की शुरुआत 1970-71 में हुई. तब इसका क्षेत्रफल सिर्फ 3 हजार हेक्टेयर था, जो 2023 में बढ़कर 125 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बीच इसके क्षेत्र विस्तार और उत्पादन बढ़ाने को लेकर जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है. इस वक्त मध्य प्रदेश को पछाड़कर महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक प्रदेश बन गया है.
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