गेहूं की नई किस्मों से बढ़ेगी पैदावाररबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई का समय नजदीक आ रहा है. हर किसान का सपना होता है कि उसकी मेहनत रंग लाए और खेत में फसल लहलहाए. विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की कई ऐसी उन्नत किस्में विकसित की हैं, जो न सिर्फ ज्यादा पैदावार देती हैं, बल्कि अगेती बुवाई के लिए भी एकदम बेहतर हैं. सही किस्म का चुनाव, बुवाई का सही समय और खाद-बीज की सही मात्रा, ये तीन चीजें मिलकर आपकी पैदावार को कई गुना बढ़ा सकती हैं.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, गेहूं की अगेती बोई जाने वाली किस्मों के लिए सबसे अच्छा समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच होता है. कुछ किस्में 20 अक्टूबर से भी बोई जा सकती हैं. समय पर बुवाई करने से फसल को बढ़ने और पकने के लिए पूरा समय मिलता है, जिससे दाना मजबूत और पैदावार अच्छी होती है.
डीबीडब्ल्यू 327 (DBW 327): यह किस्म औसत पैदावार के मामले में सबसे आगे है. यह प्रति एकड़ औसतन 32.1 क्विंटल उपज दे सकती है और अच्छी देखभाल होने पर इसकी पैदावार 35.5 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुंच सकती है.
पीबीडब्ल्यू 872 (PBW 872): अगर आप अधिकतम पैदावार की क्षमता देख रहे हैं, तो यह किस्म शानदार है. इसकी औसत उपज 30.4 क्विंटल प्रति एकड़ है, लेकिन सही माहौल मिलने पर यह 37.8 क्विंटल प्रति एकड़ तक की बंपर पैदावार दे सकती है.
डीबीडब्ल्यू 371 (DBW 371): यह भी एक बेहतरीन और भरोसेमंद किस्म है, जो प्रति एकड़ औसतन 30.7 क्विंटल और अधिकतम 35.3 क्विंटल तक उपज देती है.
डब्ल्यूएच 1270 (WH 1270) : यह किस्म भी अधिक पैदावार क्षमता के लिए जानी जाती है. यह प्रति एकड़ 30.4 क्विंटल की औसत उपज देती है, जो अधिकतम 37 क्विंटल प्रति एकड़ तक जा सकती है.
डीबीडब्ल्यू 370 (DBW 370): ये किस्में भी अगेती और समय पर बुवाई के लिए बहुत अच्छी हैं. इनकी औसत पैदावार 30.4 क्विंटल प्रति एकड़ के आसपास है और अधिकतम क्षमता 34.4 से 35.2 क्विंटल प्रति एकड़ के बीच रहती है.
पीबीडब्ल्यू 826 (PBW 826): यह किस्म अगेती समय पर बुवाई के लिए बहुत अच्छी है. अगर 1 नवंबर के बाद बुवाई कर रहे हैं, तो यह किस्म एक अच्छा विकल्प है. यह प्रति एकड़ औसतन 24.3 क्विंटल और अधिकतम 33.2 क्विंटल तक उपज दे सकती है.
इन सभी किस्मों की ऊंचाई 100 सेंटीमीटर या उससे कम है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये किस्में 'अर्ध-बौनी' (semi-dwarf) हैं. तेज हवा या पानी लगने पर ये आसानी से गिरती नहीं हैं, जिससे फसल का नुकसान कम होता है. ज्यादातर किस्में 150 से 155 दिन के बीच पक जाती हैं. यह समय गेहूं की फसल के लिए आदर्श माना जाता है. इससे किसानों को अगली फसल जैसे मूंग या अन्य जायद फसल की तैयारी के लिए समय मिल जाता है. अगर अगेती किस्म बोते हैं तो जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ने के कारण इसके उत्पादन पर कम असर पड़ता है.
अगर आप धान की कटाई के बाद खेत की तैयारी में पिछड़ रहे हैं, तो हैप्पी सीडर या सुपर सीडर जैसी आधुनिक मशीनें आपके लिए वरदान हैं. ये मशीनें खेत की जुताई और गेहूं की बुवाई का काम एक साथ कर देती हैं. इससे न सिर्फ आपका कीमती समय और पैसा बचता है, बल्कि धान की पराली को जलाए बिना उसे खेत में ही मिलाकर खाद बनाया जा सकता है. इन मशीनों से बुवाई करते समय, प्रति एकड़ 40 किलो बीज के साथ 1 बैग DAP, 25 किलो पोटाश और आधा बैग यूरिया डालें.
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