महाराष्ट्र का विदर्भ रीजन इस बार पीला मोजेक रोग (Yellow Mosaic Disease) की वजह से चर्चा में है. क्योंकि इस क्षेत्र में बोई गई सोयाबीन की फसल इसी रोग की वजह से चौपट हो गई है. किसानों का दावा है कि 60 से 70 फीसदी फसल चौपट हो चुकी है. इसलिए यहां के किसान संकट में हैं. अब इतनी फसल बर्बाद होने के बाद उनका जीवन कैसे चलेगा. पीला मोज़ेक रोग सोयाबीन के लिए सबसे घातक है. राज्य सरकार ने नुकसान का पंचनामा करने के लिए अधिकारियों को आदेश दिया है. राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार तय करेगी कि कितना मुआवजा दिया जा सकता है. मंत्री पाटिल ने विदर्भ में सोयाबीन की फसल का निरीक्षण भी किया है.
पाटिल ने स्वीकार किया है कि विदर्भ में सोयाबीन पर पीला मोज़ेक रोग के कारण लगभग 60 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है. यहां पहले सूखा था और उसके बाद भारी बारिश और पीला मोज़ेक रोग के कारण फसल का नुकसान हुआ है. पाटिल ने फसल नुकसान का निरीक्षण किया है. नागपुर जिले के कुछ खेतों में जाकर उन्होंने हालात का जायजा लिया. किसानों को मुआवजा राजस्व विभाग से ही मिलता है.
राजस्व मंत्री ने खेतों में सूखी सोयाबीन की फसल देखकर माना है कि 60 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है. पीला मोज़ेक रोग का असर हर साल बढ़ रहा है. इसलिए अब इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों, विश्वविद्यालयों और सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. ताकि किसानों को इससे छुटकारा मिल सके. महाराष्ट्र प्रमुख सोयाबीन उत्पादक प्रदेश है. यहां पर बार-बार इस रोग से फसल का खराब होने राज्य के लिए चिंता की बात है. रोग की वजह से सोयाबीन की सूखी फसल किसानों को परेशान कर रही है.
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इस बीच इस साल सरकार ने किसानों की फसल बीमा के प्रीमियम की किस्त का भुगतान कर दिया है. इसलिए उम्मीद है कि किसानों को फसल बीमा से बड़ी मदद मिलेगी. यहां एक रुपये में सरकार फसल बीमा कर रही है. इसलिए हर किसान का बीमा हो जाएगा. पाटिल ने कहा कि सरकार द्वारा किए गए समझौते के मुताबिक फसल बीमा कंपनियों से मुआवजे की अग्रिम किस्त जल्द ही किसानों के हाथ में आ जाएगी. इसके अलावा पीला मोजेक रोग का पंचनामा करने के आदेश दिए गए हैं. पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार तय करेगी कि कितना मुआवजा दिया जा सकता है.
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