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सोलापुर में 24 बोरी प्याज के मिले 557 रुपये, पढ़िए इस किसान की दुखभरी कहानी

सोलापुर में 24 बोरी प्याज के मिले 557 रुपये, पढ़िए इस किसान की दुखभरी कहानी

किसान मारुति खांडेकर 24 बोरी प्याज बेचने के लिए मंडी ले लाए थे. किसान ने प्याज की खेती पर 58 हजार रुपये खर्च क‍िए हैं. यहां 24 बोरी की ब‍िक्री से उन्हें स‍िर्फ 2866 रुपये म‍िले. मालभाड़ा और तौलाई, उतरवाई काटने के बाद उन्हें केवल 557 रुपये मिले. किसान खांडेकर निराश होकर घर चले गए.

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किसान को नहीं मिल रहा है प्याज़ का उचित दाम किसान को नहीं मिल रहा है प्याज़ का उचित दाम

प्याज की न‍िर्यातबंदी खत्म होने के बाद भी महाराष्ट्र के क‍िसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. राज्य की कई मंड‍ियों में अब भी क‍िसानों को 1 रुपया क‍िलो के दाम पर प्याज बेचने के ल‍िए मजबूर होना पड़ रहा है. निर्यात प्रतिबंध हटने के बाद भी सोलापुर बाजार समिति में लगातार न्यूनतम दाम स‍िर्फ 100 रुपये क्व‍िंटल बना हुआ है. शनिवार को यहां एक क‍िसान को 24 बोरी प्याज बेचने के बाद भी उनके हाथ स‍िर्फ 557 रुपये ही लगे. बाकी भाड़ा और मंडी में खत्म हो गए. कई क‍िसानों को तो प्याज बाजार में लाने तक का भाड़ा भी नहीं म‍िल पा रहा है.  

इसके चलते किसान सरकार के ख‍िलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. सोलापुर बाजार समिति में शनिवार को 167 ट्रक प्याज की आवक हुई. औसत रेट 1000 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. फिलहाल रबी सीजन का प्याज बिक्री के लिए आ रहा है. इसके अलावा ज‍िन किसानों को पैसे की जरूरत है वो अब प्याज को बिक्री के लिए स्टोर से निकाल रहे हैं. कुछ क‍िसान स्टोर भी कर रहे हैं. 

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प्याज की खेती में क‍ितना घाटा 

शनिवार को किसान मारुति खांडेकर 24 बोरी प्याज बेचने के लिए लाए थे. उन्होंने प्याज की खेती पर 58 हजार रुपये खर्च क‍िए हैं. यहां 24 बोरी की ब‍िक्री से उन्हें स‍िर्फ 2866 रुपये म‍िले. मालभाड़ा और तौलाई, उतरवाई काटने के बाद उन्हें केवल 557 रुपये मिले. खांडेकर निराश होकर घर चले गए. अब अगर 24 बोरी प्याज बेचने के बाद क‍िसान को स‍िर्फ 557 रुपये म‍िलेंगे तो सोच‍िए क‍ि उस पर क्या बीतेगी. मारुति खांडेकर के प्याज को मंडी तक लाने का किराया ही 2120 रुपये लग गया. हमाली के 96 रुपये, तोलाई के 57 रुपये और महिला हमाली के 36 रुपये काट लिए गए, जिससे किसान के हाथ में 557 रुपये रह गए.

क‍िसानों को भारी घाटा  

महाराष्ट्र में ज‍िन मंड‍ियों में प्याज का सबसे कम दाम रहता है उनमें सोलापुर का नाम सबसे पहले ल‍िया जाता है. यहां अक्सर क‍िसानों को अपना प्याज 1 रुपया क‍िलो के रेट पर बेचना पड़ता है. क‍िसानों को प्रत‍ि क्व‍िंटल लागत 15 रुपये से ज्यादा आती है. इसल‍िए यहां हर द‍िन कोई न कोई क‍िसान मारुति खांडेकर की तरह परेशान होता है. इसील‍िए अब महाराष्ट्र के क‍िसान धीरे-धीरे प्याज की खेती कम कर रहे हैं. पांच महीने के बाद 4 मई को प्याज की न‍िर्यातबंदी तो खत्म हो गई है लेक‍िन अब भी बाजार में क‍िसानों को पहले की ही तरह कम दाम पर प्याज बेचना पड़ रहा है.

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