केंद्र के बफर स्टॉक के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा चावल की खरीद 31 मई तक 500 लाख टन के पार हो गई है. हालांकि यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 5.7 प्रतिशत कम है. खरीद सीजन 2022-23 में इसी अवधि के दौरान सरकार ने 531.06 लाख टन चावल खरीदा था, जो इस साल 2023-24 में घटकर 500.94 लाख टन रह गई है. खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2023-24 सीज़न में खरीफ की फसल से 462.1 लाख टन और रबी की फसल से 38.9 लाख टन चावल की खरीद की गई है. असम को छोड़कर सभी राज्यों में खरीफ सीजन में उगाए गए धान की खरीद पहले ही खत्म हो चुकी है.
सरकार ने 2023-24 के लिए खरीफ की फसल से 524.9 लाख टन और रबी सीजन से 103.2 लाख टन चावल खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया था. इस हिसाब से ख़रीफ़ सीज़न की चावल खरीद में काफी कमी है, जिसे पूरा करना संभव नहीं है, क्योंकि असम ने अब तक आधिकारिक खरीद में 55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है. बाकी राज्यों में खरीद खत्म हो चुकी है.
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केंद्र सरकार के अनुसार पंजाब से सबसे ज्यादा 124.14 लाख टन चावल की खरीद की गई है जो पिछले साल की इसी अवधि से 1.8 प्रतिशत ज्यादा है. दूसरे नंबर पर तेलंगाना है जहां 57.04 लाख टन की खरीद हुई है. यह पिछले साल से 11.6 प्रतिशत कम है. पिछले साल तेलंगाना से 31 मई तक 64.55 लाख टन की खरीद की गई थी.
सरकार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत दायित्व सहित सभी कल्याणकारी कार्यक्रमों को चलाने के लिए सालाना 400- 410 लाख टन चावल की आवश्यकता होती है. यह देखते हुए कि 1 अक्टूबर, 2023 को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास चावल का प्रारंभिक स्टॉक (चावल के संदर्भ में धान सहित) 315 लाख टन था.
वर्ष 2023-24 में पश्चिम बंगाल देश का तीसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक था. यहां से 13.22 लाख टन की खरीद की गई है, जो पिछले साल से 43.4 फीसदी कम है. पिछले वर्ष यहां से 23.36 लाख टन चावल खरीदा गया था. इस साल 166.3 लाख टन के अनुमानित उत्पादन के साथ तेलंगाना देश का सबसे बड़ा चावल उत्पादक बनने के बीच, केंद्र ने 100 लाख टन का लक्ष्य रखा था, जिसमें खरीफ और रबी सीजन से 50-50 लाख टन शामिल थे.
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