देश के किसान अब परम्परागत खेती को छोड़ कम समय में अधिक लाभ देने वाली फसलों की खेती करने में रूचि दिखा रहे है, देश में बहुत से किसान लाल एलोवेरा की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. लाल एलोवेरा के बहुत से उपयोग हैं. सौंदर्य प्रसाधनों में इसका जितना अधिक इस्तेमाल होता है, उतना ही इसे जूस या पेय के रूप में पसंद किया जाता है.
इसके चलते बाज़ार में इसकी मांग बनी रहती हैं ऐसे में किसानों लिए इसलिए फायदे का सोदा साबित हो सकती है. हरे एलोवेरा के मुक़ाबले लाल एलोवेरा का बाज़ार में अच्छा भाव भी मिलता है. किसान अगर सही तरीके से इसकी खेती कराते हैं तो उन्हें अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों मिल सकता हैं.
हरे और लाल एलोवेरा में कोई खास अंतर नहीं है. दोनों ही हमारे लिए फायदेमंद हैं. हालांकि लाल एलोवेरा, हरे एलोवेरा से इस मायने में थोड़ा विशेष हो जाता है क्योंकि लाल एलोवेरा में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं. यह गुण मानव शरीर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है.एंटी-माइक्रोबियल गुण होने के चलते लाल एलोवेरा फंगस और बैक्टीरिया की गतिविधियां को धीमा करने में मदद करता है. इसकी वजह बाज़ार में इसका अच्छा दाम भी किसानों को मिलता है.
गर्म और आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में लाल एलोवेरा की खेती के लिए काफी उपयुक्त माने जाते है. मिली जानकारी के मुताबिक, यह एलोवेरा शुष्क और गर्म क्षेत्रों से संबंध रखती है. अगर आप एलोवेरा की खेती ठंडे मौसम में करते हैं, तो आपको इसका अच्छा लाभ नहीं मिलेगा. इसीलिए गरम प्रदेशो में करे इसकी खेती.
ये भी पढ़ेंः Weather Warning: चक्रवाती तूफान का अनुमान, 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी हवा
अगर आप भी अपने खेत में लाल एलोवेरा की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले भूमि की तैयारी करनी होगी. ऐसे में आपको पहले खेत की मिट्टी की अच्छे से जुताई करें और फिर उसमें सीढ़ी बनाएं. आपके खेत की मिट्टी समान रूप से समतल बनी होनी चाहिए.
यह एलोवेरा की खेती कम वर्षा वाले स्थानों में अच्छा प्रदर्शन देती है. इसकी खेती के लिए आपको अधिक पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी रोपण करने के बाद ही आपको सिंचाई करने पर ध्यान देना चाहिए और साथ ही इसकी जब आप पत्तियों की कटाई कर दें, तो आपको तुरंत हल्के पानी से सिंचाई करनी चाहिए. यह फसल कम सिचाई वाले क्षेत्रों में भी बेहतरीन उत्पादन देती है.
एलोवेरा की लगभग 150 प्रजातियां हैं. जिनमें से एलो बार्बेडेंसिस, ए.चिनेंसिस, ए. परफोलियाटा, ए. वल्गारिस, ए इंडिका, ए.लिटोरेलिस और ए.एबिसिनिका आमतौर पर उगाई जाने वाली किस्में हैं और इनमें सबसे अधिक चिकित्सीय गुण पाया जाता है. सीमैप, लखनऊ ने भी एलोवेरा की उन्नत प्रजाति (अंकचा/एएल-1) विकसित की है. एलोवेरा की व्यावसायिक खेती के लिए किसान इस किस्म के लिए इस संस्थान से संपर्क कर सकते हैं.
लाल एलोवेरा की कटाई रोपण के 8 से 9 महीने पूरे होने के बाद ही करनी चाहिए,ताकि पौधा अच्छे से कटाई के लिए तैयार हो सकें. ध्यान रहे कि जब आप लाल एलोवेरा के पौधों की कटाई कर रहे हैं, तो आपको इसके रस को नष्ट नहीं करना है. आप भी लाल एलो वेरा की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
ये भी पढ़ें: पशुओं की देसी नस्लों की पहचान से समृद्ध बनेगा कृषि और पशुपालन क्षेत्र
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today