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महाराष्ट्र में बार‍िश ने बढ़ाई क‍िसानों की मुसीबत, फसलों को बड़े पैमाने पर हुआ नुकसान

महाराष्ट्र में बार‍िश ने बढ़ाई क‍िसानों की मुसीबत, फसलों को बड़े पैमाने पर हुआ नुकसान

बार‍िश से अकोला जिले में 4060 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है. इसमें सबसे अधिक पातुर तालुका में 24 गांवों की 2866 हेक्टेयर भूमि में फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं. तेल्हारा तालुका में 1000 हेक्टेयर और बालापुर में 250 हेक्टेयर में प्याज, ज्वार, सब्जियां, आम, नींबू, पपीता, केला, गेहूं, तरबूज-तरबूज जैसी विभिन्न फसलों को नुकसान हुआ है. 

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बारिश में फसल हुई खराब बारिश में फसल हुई खराब

महाराष्ट्र में एक तरफ जहां किसान उपज का उचित दाम नहीं मिलने से परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ बेमौसम बारिश के चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. राज्य के अकोला जिले में लगातार दूसरे दिन बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों की तैयार फसल बर्बाद हो गई है. तेज हवा के साथ हुई बारिश से नींबू और आमों के बागों को भारी नुकसान हुआ है. कई बागों के उजड़ने से किसान आर्थिक रूप से तबाह हो गए हैं. पश्चिमी विदर्भ के अकोला, बुलढाना और वाशिम जिलों में लगातार दो दिनों तक बेमौसम बारिश हुई है. बारिश के साथ तेज हवा चलने से नुकसान और बढ़ गया. 

मंगलवार की आपदा में अकोला जिले में 4060 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है. इसमें सबसे अधिक पातुर तालुका में 24 गांवों की 2866 हेक्टेयर भूमि में फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं. तेल्हारा तालुका में 1000 हेक्टेयर और बालापुर में 250 हेक्टेयर में प्याज, ज्वार, सब्जियां, आम, नींबू, पपीता, केला, गेहूं, तरबूज-तरबूज जैसी विभिन्न फसलों को नुकसान हुआ है. उसके बाद बुधवार की शाम फिर हुई बारिश ने काफी नुकसान पहुंचाया. पातुर तालुका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. इस तालुका में 25 गांवों में बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान पहुंचा है. क‍िसान अब सर्वे करवाकर मुआवजा की मांग कर रहे हैं. 

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किसानों ने क्या कहा 

किसानों का कहना है कि बारिश के कारण सबसे ज्यादा नींबू के पेड़ों और आम के बागों का नुकसान हुआ है. तूफानी बारिश के साथ ओलावृष्टि रबी सीजन की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा गई. किसान हरीश धोत्रे बताते हैं कि वो दस साल पहले तीन एकड़ में नींबू के पौधे लगाए थे. मूसलाधार बारिश और आंधी के कारण तीन एकड़ में लगे 350 पेड़ों में से केवल 25 से 30 ही बचे हैं. अन्य सभी पेड़ उखड़ गए. गांव के अन्य किसानों के बगीचे भी बर्बाद हो गए हैं. गांव को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. सरकार को तत्काल सर्वे कराकर सहायता देनी चाहिए.

पुणे में भी बारिश से किसान परेशान 

पुणे में भी बेमौसम बारिश के कराण फसलों का नुकसान हुआ है. जिले में बारिश के कारण तीन हजार हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ है. ऐसा अनुमान लगाया गया है. जिसमें केला, मक्का, गेहूं और अन्य फसलें शामिल हैं. सबसे ज्यादा नुकसान जामनेर और बोदवड इलाके में हुआ है. कृषि विभाग ने पंचनामा शुरू कर दिया है. प्रशासन ने 3 हजार 411 हेक्टेयर में नुकसान की जानकारी दी है. जामनेर तालुका में तूफानी हवाओं के साथ बारिश हुई. इस बेमौसम बारिश के कारण खेत में खड़ा केला औंधे मुंह गिर गया. मक्का, ज्वार, गेहूं और नींबू जैसी ग्रीष्मकालीन फसलों को भी नुकसान हुआ. इसके साथ ही कई किसानों के घर का जरूरी अन्य सामान भी पानी में बह गया. बारिश के कारण खड़की-बोरगांव, महूखेड़ा, लोनी, अमखेड़ा, सावरला, तालेगांव आदि गांव काफी प्रभावित हुए हैं.

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