'एक अनार और सौ बीमार' की कहावत आपने सुनी ही होगी. ये कहावत अनार के गुणों और इसकी मांग समेत लोकप्रियता को उजागर करने के लिए काफी है. अनार एक ऐसा फल है, जिसे हर मौसम में खाया जाता है. अनार का फल सेहत बनाने और धन कमाने दोनों ही लिहाज से काफी फायदेमंद होता है. दरअसल अनार में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और खनिज पाया जाता है. अनार एक ऐसी बागवानी फसल है, जिसे एक बार लगाने पर कई साल तक फल मिलते रहते हैं.
वहीं अनार की साल भर डिमांड भी रहती है. अनार की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि इसका रेट मार्केट में हमेशा ज्यादा रहता है. अनार के पौधों को लगाने का उपयुक्त समय अगस्त या फरवरी से मार्च तक होता है. आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर अनार की किस्मों के बारे में जिनकी बागवानी कर किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
अगर आप इस मॉनसून में किसी फल की बागवानी करना चाहते हैं तो आप अनार की कुछ उन्नत किस्मों की बागवानी कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में गणेश, भगवा, जोधपुर रेड, ज्योति और सिंदूरी आदि किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की बागवानी करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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गणेश :- इस किस्म को एलन डी के नाम से भी जाना जाता है. इस किस्म के एक फल का वजन 200 से 300 ग्राम होता है. ये खाने में मीठा, रसदार और स्वादिष्ट होता है. इसके दानों का रंग हल्का गुलाबी होता है. ये किस्म प्रति पौधा आठ से 12 किलो फल देता है.
भगवा :- इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके फल कम फटते हैं. यह देखने में बहुत आकर्षक और चमकदार होता है. इसके बीज लाल, नरम और मीठे होते हैं. इसके प्रत्येक फल का वजन 250 से 300 ग्राम होता है. निर्यात की दृष्टि से यह बेहतरीन किस्म है.
जोधपुर रेड :- इसकी खेती मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में की जाती है. अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म के पौधे बड़े होते हैं. साथ ही फलों में फटने की समस्या भी कम होती है. इसके दानों में 60 से 65 प्रतिशत रस भरे होते हैं.
ज्योति :- अनार की इस किस्म के फल भी साइज में मध्यम आकार के होते हैं और इसके दाने लाल रंग के होते हैं. ये किस्म पैदावार के मामले में काफी अच्छी मानी जाती है. इस किस्म को अनार की दो किस्मों के संकर से बनाया गया है. इस किस्म में प्रति पेड़ आपको लगभग 10 से 12 किलो पैदावार मिल जाती है.
सिंदूरी :- इस किस्म को वर्ष 2008-09 में विकसित किया गया था. इसकी विशेषता यह है कि पौधे के 3 वर्ष के होने के बाद फल लगना शुरू हो जाते हैं. इसके फल देखने में जितने आकर्षक होते हैं , खाने में उतने ही स्वादिष्ट भी होते हैं.
वैसे तो अनार का पौधा लगभग सभी तरह की मिट्टी में विकसित हो जाता है, लेकिन अनार की खेती के लिए मध्यम काली और उपजाऊ मिट्टी अच्छी होती है, लेकिन अगर अच्छी जल निकासी वाली जलोढ़ या दोमट मिट्टी का चयन किया जाए तो उपज बेहतर होती है. वहीं पौधा लगाने के लगभग तीन से चार साल में किसानों को फल मिलने लगता है.
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