टमाटर की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतरीन जरिया बनती जा रही है. दरअसल किसानों को टमाटर की खेती में उपज अच्छी होती है और लागत कम आती है. वहीं, टमाटर एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग बाज़ार में सालभर रहती है. ऐसे में देश के किसानों को अधिक मुनाफा हो, इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली द्वारा पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की नई किस्म विकसित की गई है. इस किस्म की खासियत यह है कि यह अनियमित बढ़वार वाली किस्म है. इसके पौधे गुच्छे में खूब उपज देते हैं.
पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 किस्म की खासियत की बात करें तो ये पोषक तत्वों से भरपूर टमाटर है. यह अनियमित बढ़वार वाली किस्म है. इसके हर पौधे में लगभग 9 से 10 फलों के गुच्छे होते हैं. प्रत्येक गुच्छे में 350 चेरी टमाटर लगते हैं. इसके फल गोल और पीले रंग के होते हैं. हर फल का औसतन वजन 7-8 ग्राम होता है. इसकी उपज के लिए जलवायु गर्म होनी चाहिए. यह बलुई दोमट मिट्टी में अच्छी पैदावार देती है. साथ ही इसकी खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है, केवल नमी की जरूरत होती है.
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पूसा में विकसित की गई इस किस्म के टमाटर की खेती के लिए गर्म मौसम की जरूरत होती है. इसकी खेती के लिए सामान्य तौर पर प्रति हेक्टेयर 25-30 टन सड़ी हुई गोबर खाद की जरूरत होती है. इसके अलावा 80 किलो फास्फोरस, 90 किलो पोटाश और 150 किलो नाइट्रोजन का एक तिहाई रोपण के समय और बचा हुआ हिस्सा पौधे के बड़े होने के बाद 25 दिनों के अंतराल पर उपयोग किया जाना चाहिए.
पूसा गोल्डन चेरी टमाटर की खासियत यह है कि किसान इसकी खेती पूरी तरह से नियंत्रित पर्यावरण पॉलीहाउस में साल भर कर सकते हैं. यदि पॉलीहाउस हवादार या कम लागत वाला है तो इसमें इसे अगस्त या सितंबर महीने में लगाया जाता है और इसकी फसल मई महीने तक ली जा सकती है. इसके बीज दर की बात करें तो इसकी रोपाई के लिए प्रति हेक्टेयर 125 ग्राम बीज की जरूरत होती है. अगर आप इसके पौधे नर्सरी में तैयार कर रहे हैं तो जुलाई-अगस्त के महीने में कोकोपिट नर्सरी ट्रे में इसकी बुवाई कर सकते हैं. इसकी खेती में खरपतवारों पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है.
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