पंजाब के कपास किसान परेशान हैं, हताश हैं. वजह है सफेद मक्खी और गुलाबी सुंडी का अटैक. किसानों की हालत ये हो गई है कि उन्होंने खेत में खड़ी कपास की फसल को उखाड़ना शुरू कर दिया है. खड़ी फसल को जोत कर किसान खेतों से हटा रहे हैं क्योंकि उन्हें दूसरा कोई चारा नहीं दिख रहा है. किसान कपास से इतने परेशान हैं कि उन्होंने दूसरी फसल का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है. इसके लिए उन्होंने धान की पछेती किस्मों को लगाना शुरू कर दिया है. उन्हें उम्मीद है कि कपास की खेती में उन्हें जो नुकसान हुआ है, उसकी वे धान से भरपाई कर लेंगे.
पिछले कुछ हफ्तों में पंजाब के कई जिलों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि किसान अपने खेतों से कपास की फसल को उखाड़ रहे हैं. इन जिलों में बठिंडा, मानसा और फाजिल्का के नाम हैं. किसान कपास की फसल को उखाड़कर खेतों में धान की किस्म पीआर 126 लगा रहे हैं. इन जिलों के खेतों में देखें तो किसानों ने पूरे खेत के आधे हिस्से को जोतकर कपास की फसल उखाड़ दी है. जिन क्षेत्रों में गुलाबी सुंडी और सफेद मक्खी का प्रकोप है, उन इलाकों के किसान कपास की फसल पर हल चलाने के लिए मजबूर हैं.
फाजिल्का में कृषि विभाग ने 10 क्षेत्रों को चिन्हित किया है जहां सफेद मक्खी और गुलाबी सुंडी का प्रकोप सबसे ज्यादा है. पट्टी सादिक गांव के किसान गुरप्रीत सिंह और उनके पिता अजायब सिंह ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा कि उन्होंने डेढ़ एकड़ में अपनी कपास की फसल को नष्ट कर दिया है जबकि बाकी के तीन एकड़ में इसलिए छोड़ दिया है क्योंकि अभी तक कीटों से प्रकोप से फसल बची हुई है.
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कृषि विभाग की टीम ने खेतों का दौरा किया और बताया कि कीटों का प्रकोप है, लेकिन लिमिट से कम है. इसके बावजूद किसान कपास की फसल को नष्ट कर रहे हैं. किसान गुरप्रीत सिंह कहते हैं कि उन्होंने फसल इसलिए उजाड़ दी क्योंकि लगातार दूसरे साल कीटों का प्रकोप देखा गया है. गुरप्रीत कहते हैं कि उन पर कई तरह की जवाबदेही है, कई तरह के कर्जे हैं. इसलिए कपास की फसल नष्ट कर दी क्योंकि डर है कि कीटों के हमले बढ़ेंगे तो उनसे छुटकारा पाने के लिए अधिक से अधिक स्प्रे करना होगा.
पिछले साल भी कपास पर कीटों का हमला देखा गया था जिससे उपज में भारी कमी आई थी. पिछले साल पंजाब की लगभग 25 फीसद उपज 6620 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी से नीचे पर बिकी थी. उससे एक साल पहले 2022-23 में यही कपास 10,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिका था. किसानों को इस साल भी डर सता रहा है कि कपास पर कीटों का हमला हो गया तो अच्छे रेट नहीं मिलेंगे. इससे बचने के लिए वे कपास को हटाकर धान की रोपाई कर रहे हैं.
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कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि विभाग के अधिकारी खड़ी कपास की फसल पर नजर रखने के लिए हफ्ते में दो बार (सोमवार और गुरुवार) खेतों का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "किसानों द्वारा फसल को फिर से जोतने की खबरें आई हैं, लेकिन यह केवल उन मामलों में है जहां उनके पास बुवाई के लिए धान की पीआर 126 किस्म के पौधे उपलब्ध हैं. यही कारण है कि वे केवल आधे खेतों की ही जुताई कर रहे हैं, जबकि बाकी आधे खेतों में कपास की फसल को बरकरार रखा गया है."
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