दलहन फसलों की कम बुवाई ने बढ़ाई च‍िंता, दाम बनाएगा र‍िकॉर्ड और 'आयात न‍िर्भर' ही रहेगा देश

दलहन फसलों की कम बुवाई ने बढ़ाई च‍िंता, दाम बनाएगा र‍िकॉर्ड और 'आयात न‍िर्भर' ही रहेगा देश

Pulses Price Hike: अर‍हर दाल का दाम प‍िछले एक साल में ही 54 रुपये जबक‍ि मूंग दाल का भाव 28 रुपये प्रत‍ि क‍िलो बढ़ गया है. इस बीच खरीफ और रबी दोनों सीजन में घटा दलहन फसलों का रकबा सरकार और उपभोक्ताओं की च‍िंता और बढ़ा देने के ल‍िए काफी है. आख‍िर दलहन फसलों में कब आत्मन‍िर्भर होगा भारत?

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दलहन फसलों की कम बुवाई ने बढ़ाई च‍िंता, दाम बनाएगा र‍िकॉर्ड और 'आयात न‍िर्भर' ही रहेगा देश दलहन फसलों का लगातार घट रहा है एर‍िया (Photo-ICAR).

दालों के र‍िकॉर्ड आयात के बीच एक और च‍िंता बढ़ाने वाला आंकड़ा सामने आया है. ज‍िससे इसकी महंगाई और बढ़ सकती है. घरेलू मांग को पूरा करने के ल‍िए आयात पर न‍िर्भरता और बढ़ जाएगी. दलहन के मामले में आत्मन‍िर्भर होने का नारा लगाते-लगाते ऐसा लगता है क‍ि फ‍िलहाल हमें 'आयात न‍िर्भर' देश ही रहना होगा. इसकी वजह भी है. क्योंक‍ि न स‍िर्फ खरीफ सीजन में दलहन फसलों की बुवाई बहुत कम हुई थी बल्क‍ि रबी सीजन में तो उससे भी अध‍िक न‍िराश करने वाले हालात द‍िख रहे हैं. वर्तमान रबी फसल सीजन में प‍िछले सीजन के मुकाबले दलहन फसलों की बुवाई में भारी कमी दर्ज की गई है. प‍िछले सीजन के मुकाबले इसका एर‍िया इस बार 10.72 लाख हेक्टेयर कम हो गया है. 

कृष‍ि मंत्रालय ने 29 द‍िसंबर 2023 को फसलों की बुवाई के संबंध में जो आंकड़ा द‍िया है वो दालों को लेकर सरकार और उपभोक्ताओं की च‍िंता में इजाफा करने वाला है. यही नहीं 2023 के खरीफ सीजन में भी दलहन फसलों का एर‍िया 2022 के मुकाबले 5.41 लाख हेक्टेयर कम था. साल 2023 में 29 द‍िसंबर तक स‍िर्फ 142.49 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई हुई है. जबक‍ि इसी अवध‍ि में 2022 के दौरान इसका एर‍िया 153.22 लाख हेक्टेयर था. चने की खेती में सबसे ज्यादा 8.75 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है. इस साल अब तक 97.05 लाख हेक्टेयर में ही चने की बुवाई हुई है. मूंग का रकबा प‍िछले सीजन यानी 2022 के मुकाबले 1.12 लाख हेक्टेयर तो उड़द का रकबा 0.99 हेक्टेयर कम हो गया है. 

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खरीफ सीजन में भी कम था रकबा

साल 2023 के खरीफ सीजन में दलहन फसलों का एर‍िया 5.41 लाख हेक्टेयर कम हो गया था. ज‍िसका असर अभी द‍िखना बाकी है. साल 2023 में 29 स‍ितंबर को खरीफ सीजन की बुवाई के जो फाइनल आंकड़े आए थे उसके अनुसार स‍िर्फ 123.57 लाख हेक्टेयर में ही दलहन फसलों की बुवाई हुई थी. जबक‍ि साल 2022 की इसी अवध‍ि के दौरान इसका 128.98 लाख हेक्टेयर एर‍िया था. अरहर और मूंग की बुवाई में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई थी.

र‍िकॉर्ड दलहन आयात का अनुमान

दोनों सीजन में दलहन फसलों की बुवाई में कमी का असर आने वाले द‍िनों में द‍िखाई देगा. चालू वित्त वर्ष में दलहन आयात में बढ़ोतरी हो सकती है. उसके आगे भी ऐसी ही स्थ‍ित‍ि कायम रहेगी. बाजार के जानकारों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में दलहन आयात 30 लाख मीट्र‍िक टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले वित्त वर्ष के 23 लाख टन से लगभग काफी अध‍िक होगा. लेक‍िन अब ज‍िस तरह से रबी सीजन की फसलों का रकबा बढ़ रहा है उसे देखते हुए ऐसा लग रहा है व‍ित्त वर्ष 2024-25 में अब तक र‍िकॉर्ड दलहन आयात होगा.

दालों की सबसे ज्यादा खपत

कम बुवाई और बढ़ती मांग के बीच सरकार के पास 'आयात न‍िर्भर' होने के अलावा कोई व‍िकल्प नहीं है. आयात बढ़ रहा है तो घरेलू बाजार में दालों का दाम भी बढ़ रहा है. बढ़ते दाम पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द दाल के मुक्त आयात को एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च 2024 तक कर दिया है. अगर उत्पादन की बात करें तो भारत में दलहन उत्पादन में दुन‍िया का नंबर वन देश है जो वैश्व‍िक उत्पादन में 25 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है. लेक‍िन दूसरी ओर विश्व की 27 फीसदी दालों की खपत भी भारत करता है. इसल‍िए हम आयातक भी हैं.   

एक साल में 54 रुपये क‍िलो बढ़ा दाम

अर‍हर दाल का दाम प‍िछले एक साल में ही 54 रुपये प्रत‍ि क‍िलो बढ़ गया है. उपभोक्ता मामले व‍िभाग के प्राइस मॉन‍िटर‍िंग ड‍िवीजन के अनुसार 2 जनवरी 2023 को अरहर दाल का अध‍िकतम दाम 156 रुपये प्रत‍ि क‍िलो था, जो 2 जनवरी 2024 को 210 रुपये हो गया है. इसी तरह 2 जनवरी 2024 को मूंग दाल का अध‍िकतम दाम 180 रुपये प्रत‍ि क‍िलो है, जबक‍ि 2 जनवरी 2023 को 152 रुपये था. यानी 28 रुपये प्रत‍ि क‍िलो की वृद्ध‍ि हो गई है. ये तो सरकारी आंकड़ा है. असल में दाम तो इससे कहीं ज्यादा है. 

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