प्याज एक्सपोर्ट पर रोक लगे एक महीने का समय पूरा हो गया है. लेकिन महाराष्ट्र की सत्ता में बैठे नेताओं के दावों के बावजूद अभी तक केंद्र सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया है. इससे किसानों में केंद्र सरकार के खिलाफ गुस्सा देखा जा रहा है. खास तौर पर नासिक के किसानों में, क्योंकि नासिक देश में प्याज उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है. यह जिला अपने विशेष तरह के प्याज के लिए जाना जाता है. संयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 जनवरी को यहां आने वाले हैं. स्वामी विवेकानंद की जयंती पर वो यहां राष्ट्रीय युवा महोत्सव की शुरुआत करेंगे. प्याज की निर्यात बंदी से परेशान कुछ किसान सरकार का विरोध करते हुए कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री को यहां आना ही नहीं चाहिए, क्योंकि यहां के किसानों को उनके फैसलों ने बर्बाद कर दिया है. तो दूसरी ओर कुछ किसानों का कहना है कि हम प्रधानमंत्री का विरोध नहीं करते लेकिन यह जरूर कहना चाहते हैं कि किसानों ने भी आपको वोट दिया था.
इस बीच महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि 12 जनवरी को प्रधानमंत्री के नासिक आगमन से पहले केंद्र सरकार प्याज को लेकर कोई फैसला कर सकती है. अब यह फैसला एक्सपोर्ट बैंन खत्म करने या फिर प्रभावित किसानों को राहत देने का हो सकता है. राज्य सरकार भी अपनी ओर से इस तरह का ऐलान कर सकती है. क्योंकि महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई में सरकार चल रही है. इसलिए कोई भी नेता यह नहीं चाहेगा कि प्रधानमंत्री के आने से पहले सरकार के खिलाफ किसान गुस्सा जाहिर करें. राज्य सरकार ने फरवरी और मार्च 2023 में किसानों को प्याज के दाम पर 350 रुपये प्रति क्विंटल की मदद दी थी.
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प्याज एक्सपोर्ट बैन के दो दिन बाद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करके कहा था कि प्याज उत्पादक किसानों के हित में जल्दी ही कोई निर्णय लिया जाएगा. लेकिन इस बात को भी एक महीने होने को हैं लेकिन अभी तक किसानों के लिए कोई राहत की बात नहीं आई. किसानों का कहना है कि सरकार को महंगाई कम करने की इतनी चिंता है तो अपने पैसे से प्याज बाजार भाव पर खरीदे और लोगों को सस्ता बांट दे. लेकिन जान बूझकर प्याज का दाम गिराकर किसानों को नुकसान न पहुंचाएं. नासिक जिले में तो प्याज की खेती ही किसानों की आजीविका का मुख्य साधन है.
केंद्र सरकार अगस्त से ही प्याज का दाम बढ़ने नहीं दे रही है. सबसे पहले सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर 40% ड्यूटी लगाई. उसके बाद प्याज के एक्सपोर्ट पर 800 डॉलर प्रति टन का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस तय किया. उसके बाद 7 दिसंबर देर रात एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया. क्या अब भी सरकार प्याज का दाम और कम करने के लिए कोई और फैसला ले सकती है या फिर एक्सपोर्ट बैन के बाद कोई एक्शन नहीं लेगी. वैसे अब प्रधानमंत्री 12 जनवरी को खुद नासिक आ रहे हैं इसलिए कुछ किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनके आने से पहले कुछ फैसला कर सकती है. कई किसान संगठन 12 तारीख से पहले यह रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं कि वो कैसे इस मुद्दे पर सरकार तक अपनी बात पहुंचाएं कि किसानों को राहत मिल जाए.
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