अगर आप किसान हैं और अभी भी पुराने तौर-तरीकों से खेती करते आ रहे हैं तो आप बिना रासायनिक दवा और खाद के भी मिट्टी की उत्पादक क्षमता बढ़ा सकते हैं. वहीं, इसके बिना खेत को खरपतवारों से भी मुक्त कर सकते है. जी हां, यह सुनकर आपको थोड़ी हैरानी जरूर होगी लेकिन ऐसा संभव है. दरअसल किसानों को खेती में खरपतवार से सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. खरपतवार से फसल को बचाने के लिए किसान निराई-गुड़ाई करते हैं लेकिन इसमें बहुत खर्च आता है. इसमें सिंचाई की भी आवश्यकता बढ़ जाती है.
इसके लिए सबसे सस्ती और अच्छी तकनीक है मल्चिंग. मल्चिंग तकनीक खरपतवार नियंत्रण और पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में बेहद कारगर होती है. इसे पलवार या मल्च भी कहते हैं. अगर आप अपनी फसलों को खरपतवार मुक्त रख कर फसलों से अधिक उपज करना चाहते हैं तो आप इसके लिए अपने खेत में मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल जरूर करें.
मल्च एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दियों में पाले की समस्या से पौधों को सुरक्षित रखने के लिए मल्चिंग किया जाता है. कार्बनिक मल्च धीरे-धीरे अपघटित होने के कारण मिट्टी की संरचना, जल निकासी और पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता में सुधार करने में भी मदद करती है.
मल्च, पौधों की वृद्धि हेतु अनुकूल वातावरण प्रदान कर मिट्टी के कटाव को रोकने में मददगार है एवं सूखे के समय इसके उपयोग से पानी की बचत के साथ फसलों में खरपतवारों को रोका जा सकता है।#agrigoi #multching #droughtmanagement #ecofriendly #soilerosion pic.twitter.com/EoE3Vlzr9L
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) August 21, 2023
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जैविक मल्चिंग- जैविक मल्चिंग का अर्थ है इसमे पौधों को ढकने के लिए फसलों की पराली, पेड़ों की पत्तियां, घास की कतरन इत्यादि का उपयोग किया जाता है. इसे प्राकृतिक मल्चिंग भी कहा जाता है. यह बहुत ही सस्ती होती है. इस विधि द्वारा आप बहुत कम खर्च में अपनी फसलों को खरपतवार मुक्त रख सकते हैं.
प्लास्टिक मल्चिंग- प्लास्टिक मल्चिंग का अर्थ है यह पॉलिथीन से बनाई जाती है और इसको आप आसपास के बाजार से खरीद सकते है. यह आपको अलग-अलग रंग जैसे, रंगीन, दूधिया या सिल्वर मल्चिंग, पारदर्शी मल्चिंग आदि में मिलती है.
अगर आपको मल्चिंग विधि से खेत में सब्जी लगानी है, तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर लें. इसके साथ ही गोबर की खाद मिट्टी में मिला दें. उसके बाद खेत में उठी हुई मेड़ यानी बेड बना लें. इसके बाद ड्रिप सिंचाई की पाइप लाइन को बिछा दें. उसके बाद प्लास्टिक मल्च को अच्छी तरह बिछाकर दोनों किनारों को मिट्टी की परत से अच्छी तरह दबा दें. मल्चिंग पेपर पर गोलाई में पाइप से पौधों से पौधों की दूरी पर छेद कर दें. इसके बाद आप अपने बीज या पौधे की बुवाई कर दें.
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