पीएम मोदी ने जारी किए IIVR वाराणसी की लौकी और सेम के बीज, जानें किसानों के लिए कितना है लाभदायक

पीएम मोदी ने जारी किए IIVR वाराणसी की लौकी और सेम के बीज, जानें किसानों के लिए कितना है लाभदायक

डॉ राय ने आगे बताया कि संस्थान में विकसित लौकी की किस्म काशी शुभ्रा जो मुक्त परागित किस्म है, और लोटनल, संरक्षित संरचना के तहत उत्पादित की जा सकती है, उसे भी खरीफ, ज्यादा और ऑफ-सीजन में उगाने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा किसानों को समर्पित किया गया है.

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पीएम मोदी ने जारी किए IIVR वाराणसी की लौकी और सेम के बीज, जानें किसानों के लिए कितना है लाभदायकपीएम मोदी ने लौकी की काशी शुभ्रा और सेम की काशी बौनी सेम 207 को किया लोकार्पित (Photo-Kisan Tak)

Varanasi News: देश में कम जमीन में अधिक पैदावार लेने की पहल को आगे बढ़ाते हुए बीते रविवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में देश के किसानों को समर्पित किया है. इनमें 27 बागवानी फसलों की किस्में हैं जिनको देश के विभिन्न भागों में पैदा करके किसान अच्छी आय ले सकते हैं. पीएम द्वारा किसानों को समर्पित ये सभी फसलें पोषणयुक्त हैं, जिन्हें जलवायु एवं विभिन्न क्षेत्रों की अनुकूलता के लिए विकसित किया गया है. इन फसलों में वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान (IIVR) द्वारा विकसित सेम एवं लौकी की दो किस्में भी शामिल हैं जिन्हें क्रमशः काशी बौनी सेम-207 और काशी शुभ्रा के नाम दिया गया है.

लौकी की काशी शुभ्रा और सेम की काशी बौनी सेम 207 

संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ नागेंद्र राय ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि काशी बौनी सेम-207 किस्म उन्नत किस्म की सेम है जिसकी बढ़वार झाड़ीनुमा है और पौधे की ऊंचाई 65-70 सेमी है. इसके बीज की बुआई अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरू होती है और नवंबर के दूसरे सप्ताह (रबी फसल) तक जारी रहती है. पहली तुड़ाई बुआई के 90-95 दिन बाद शुरू होती है और मार्च के अंतिम सप्ताह तक 10-12 सेमी लंबी फलियां उपलब्ध हो जाती हैं. 5 तुड़ाई में इस फसल की औसत उपज 236 क्विंटल/हेक्टेयर है जिससे किसानों को बेहतर आय प्राप्त होगी.

ऑफ-सीजन में उगाने वाली फसल

उन्होंने बताया कि यह किस्म खेत में फसल अवधि के दौरान वायरस रोगों के प्रति सहनशील है. यह किस्म दिवा तापमान 35 डिग्री सेंटीग्रेड पर भी अच्छी उपज दे रही है. सरकार के केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा इस किस्म को पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड (जोन IV) और राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली (जोन-VI) जैसे व्यावसायिक खेती वाले राज्यों के लिए पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है.

वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान (IIVR) के कार्यकारी निदेशक डॉ नागेंद्र राय
वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान (IIVR) के कार्यकारी निदेशक डॉ नागेंद्र राय.

 डॉ राय ने आगे बताया कि संस्थान में विकसित लौकी की किस्म काशी शुभ्रा 
जो मुक्त परागित किस्म है, और लोटनल,संरक्षित संरचना के तहत उत्पादित की जा सकती है, उसे भी खरीफ, ज्यादा और ऑफ-सीजन में उगाने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा किसानों को समर्पित किया गया है.

बीज बोने के 55 दिन बाद शुरू होती है इस फसल की तुड़ाई 

कार्यकारी निदेशक डॉ नागेंद्र राय बताते हैं कि इस किस्म की पहली तुड़ाई बीज बोने के 55 दिन बाद शुरू होती है. फल हल्के हरे, चिकने बेलनाकार (गुटका प्रकार), मध्यम लंबे (28-30 सेमी) और फल का औसत वजन लगभग 800 ग्राम होता है. यह पैकेजिंग, दूरस्थ परिवहन और निर्यात के उद्देश्य के लिए बेहद उपयुक्त है. फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और खाद्य गुणवत्ता बेहतर है. यह किस्म लौकी के सामान्यतया लगने वाले रोगों के प्रति सहिष्णु है और कमरे के तापमान पर फलों को बिना खराब हुए 6 दिनों तक भंडारित किया जा सकता है.

किसानों को मिलेगी अच्छी उपज

इसकी औसत उपज 636.0 क्विंटल /हेक्टेयर है. इस किस्म को भी उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में व्यावसायिक खेती के लिए केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा अधिसूचित किया जा चुका है. इन दोनों ही किस्मों की रोगरोधी क्षमताओं के कारण इनसे किसानों को अच्छी उपज और फसल मूल्य से लाभ मिल सकता है.

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