नाशपाती एक मौसमी फल है. इसका वैज्ञानिक नाम पायरस है और इंग्लिश में इसे पीयर कहते हैं. नाशपाती को सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. असल में नाशपाती काफी स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होता है. नाशपाती में विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है. विटामिन सी, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, के, खनिज, पोटेशियम, फेनोलिक यौगिक, फोलेट, फाइबर, कॉपर, मैंगनीज और मैग्नीशियम के साथ ही कार्बनिक यौगिक भी पाए जाते हैं. इतना ही नहीं इसमें फाइबर की अधिकांश मात्रा पेक्टिन के रूप में होती है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हार्ट संबंधी रोग के जोखिम से बचाने में मददगार होती है.
मालूम हो कि दुनिया भर में नाशपाती की तीन हजार से अधिक किस्में हैं, जिनमें से भारत में 20 से अधिक किस्मों की बागवानी या खेती होती है. वहीं भारत में ज्यादातर नाशपाती की बागवानी जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में होती है. ऐसे में आइए नाशपाती की बागवानी का उचित समय और उन्नत किस्मों के बारे में जानते हैं-
यदि कोई किसान नाशपाती की बागवानी या खेती करना चाहता है तो पहले वे टहनियों का कलम नवंबर में लगाए. फिर एक महीने बाद उसकी रीप्लांटिंग करें. यदि खेत के किनारे पेड़ लगाते हैं तो 10-10 फीट की दूरी पर लगाए और यदि पूरे खेत में नाशपाती की खेती करना चाहते हैं तो 20-20 फीट की दूरी पर पेड़ लगाएं.
भारत में नाशपाती की कई प्रकार की उन्नत किस्मों की बागवानी की जाती है और उससे उत्पादन भी शानदार मिलता है. वहीं नाशपाती की अगेती किस्मों में लेक्सटन सुपर्ब, थम्ब पियर, शिनसुई, कोसुई, सीनसेकी और अर्ली चाईना आदि शामिल हैं. जबकि, नाशपाती की पछेती किस्मों में कान्फ्रेन्स (परागण), काश्मीरी नाशपाती और डायने डयूकोमिस आदि शामिल हैं. इसके अलावा, भारत के मध्यवर्ती, निचले क्षेत्र व घाटियों के लिए नाशपाती की पत्थर नाख, कीफर (परागण), गोला, होसुई, पंत पीयर-18 और चाईना नाशपाती आदि शामिल हैं.
इसे भी पढ़ें- Buy Seeds Online: बंपर उपज देती है मटर की ये वैरायटी, सस्ते में यहां से खरीदें बीज
नाशपाती के फल की तुड़ाई का समय किस्म के आधार पर तय होता है. वहीं आमतौर पर नाशपाती के फलों की तुड़ाई जून के प्रथम सप्ताह से लेकर सितंबर माह के बीच होती है. आसपास के मंडियों में फल पूरी तरह से पकने के बाद और दूरी वाले मंडियों में लेकर जाने के लिए नाशपाती के हरे फल तोड़े जाते हैं. इसके फलों के पकने के लिए तकरीबन 145 दिनों की जरूरत होती है, जबकि सामान्य नरम किस्म के लिए 135 से 140 दिन में फल पक कर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today