पंजाब में धीमी पड़ी धान की सीधी बुवाई, अब तक 32908 हेक्टेयर में हुई DSR से खेती

पंजाब में धीमी पड़ी धान की सीधी बुवाई, अब तक 32908 हेक्टेयर में हुई DSR से खेती

पंजाब में लगभग 32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. इसमें लगभग 6 लाख हेक्टेयर बासमती और शेष लगभग 26 लाख हेक्टेयर गैर बासमती धान की खेती होती है. इस वर्ष डीएसआर अपनाने के लिए 1500 रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन भी घोषित किया गया है.

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पंजाब में धीमी पड़ी धान की सीधी बुवाई, अब तक 32908 हेक्टेयर में हुई DSR से खेतीपंजाब में धान की सीधी बुवाई का रकबा. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब सरकार ने इस साल 7 लाख एकड़ (2.83 लाख हेक्टेयर) में DSR तकनीक की मदद से धान की सीधी बुवाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन उसे इस टारगेट को पूरा करने में चूनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 17 जून, 2024 तक, राज्य भर में केवल 32,908 हेक्टेयर (81,282 एकड़) में ही धान की सीधी बुवाई की गई है, जो लक्षित DSR का लगभग 12 प्रतिशत है. सरकार ने 15 मई से DSR तकनीक का उपयोग करके धान की बुवाई की अनुमति दी है. खास बात यह है कि DSR तकनीक का उपयोग 30 जून तक किया जा सकता है.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों के अनुसार DSR लगभग 15 से 20 प्रतिशत पानी बचाता है और इसके लिए मज़दूरी और धान की नर्सरी की आवश्यकता नहीं होती है. क्योंकि बीज सीधे बोए जाते हैं. पहली सिंचाई 21 दिन बाद की जाती है और इसमें लगभग 17 से 18 सिंचाई लगती है. वहीं, पारंपरिक विधि में धान की नर्सरी 25 से 30 दिनों तक उगाई जाती है. फिर नर्सरी से धान के पौधों को उखाड़ कर पहले से तैयार खेत में रोप दिया जाता है. फिर, फसल को लगभग चार से पांच सप्ताह तक पानी में रखा जाता है. इसे सीजन के दौरान 25 से 27 सिंचाई की जरूरत पड़ती है. 

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किस जिले में कितनी हुई बुवाई

चंडीगढ़ में पंजाब कृषि विभाग से प्राप्त विवरण से पता चला है कि मुक्तसर में अब तक 12,800 हेक्टेयर (31,616 एकड़) की बुवाई हुई है, उसके बाद फाजिल्का में 5,962 हेक्टेयर (14,726 एकड़), अमृतसर में 4,728 हेक्टेयर (11,678 एकड़), पटियाला में 3,600 हेक्टेयर (8,892 एकड़) और फिरोजपुर में 1,057 हेक्टेयर (2,611 एकड़) धान की सीधी बुवाई हुई है. इसके विपरीत, कई जिले डीएसआर खेती में काफी पीछे हैं, जिनमें एसएएस नगर शामिल है, जहां 82 हेक्टेयर (202 एकड़)  DSR तकनीक से खेती हुई है. इसी तरह रूप नगर में 60 हेक्टेयर (148 एकड़) और पठानकोट में केवल 42 हेक्टेयर (104 एकड़) में धान की सीधी बुवाई हुई है. 

इसके अलावा, तरनतारन में 864 हेक्टेयर (2,134 एकड़), बठिंडा में 700 हेक्टेयर (1,729 एकड़), फरीदकोट में 450 हेक्टेयर (1,111 एकड़), लुधियाना में 394 हेक्टेयर (973 एकड़), बरनाला में 325 हेक्टेयर (802 एकड़), संगरूर में 304 हेक्टेयर (751 एकड़), गुरदासपुर और मोगा में 275 हेक्टेयर (679 एकड़), मनसा में 207 हेक्टेयर (511 एकड़) और जालंधर में 200 हेक्टेयर (494 एकड़), फतेहगढ़ साहिब में 183 हेक्टेयर (452 ​​एकड़), एसबीएस नगर में 150 हेक्टेयर (370 एकड़), कपूरथला में 130 हेक्टेयर (321 एकड़) और होशियारपुर में 120 हेक्टेयर (286 एकड़) में धान की सीधी बुवाई की रिपोर्ट हैं.

32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती

पंजाब में लगभग 32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. इसमें लगभग 6 लाख हेक्टेयर बासमती और शेष लगभग 26 लाख हेक्टेयर गैर बासमती धान की खेती होती है. इस वर्ष डीएसआर अपनाने के लिए 1500 रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन भी घोषित किया गया है. पिछले वर्षों में, पंजाब में डीएसआर की खेती का अलग-अलग दायरा देखा गया. 2023 में 1.73 लाख एकड़, 2022 में 1.71 लाख एकड़ और 2020 में 1.53 लाख एकड़ में किसानों ने धान की सीधी बुवाई की.

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