इस खरीफ सीजन में किसानों ने धान की जमकर बुवाई की है, जिसके चलते रकबे में रिकॉर्ड उछाल दर्ज किया गया है. 27 सितंबर को जारी कृषि मंत्रालय के आंकड़े में बीते साल की तुलना में करीब 8 लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी बताई गई है. कृषि मंत्रालय की ओर से कराए गए मैनुअल सर्वे में 10 लाख हेक्टेयर रकबा बढ़ा हुआ बताया गया है. जबकि, , डिजिटल क्रॉप सर्वे में 65 लाख हेक्टेयर में अधिक धान बुवाई सामने आई है. दोनों तरह के सर्वे के अलग-अलग आंकड़ों के चलते धान उत्पादन का पहला अनुमान जारी होने में देरी की बात कही जा रही है.
कृषि मंत्रालय के डिजिटल फसल सर्वे के अनुसार इस साल खरीफ धान का रकबा पिछले साल के 407 लाख हेक्टेयर से 65 लाख हेक्टेयर अधिक माना जा रहा है. पिछले 5 सालों में औसतन धान का रकबा 401.6 लाख हेक्टेयर रहा है. अब इस सीजन में धान बुवाई में बढ़ोत्तरी को देखते हुए सरकार उत्पादन का पहला अनुमान लगाने में बेहद सतर्क है. आम तौर पर सितंबर के तीसरे हफ्ते में अनुमान जारी किया जाता है. लेकिन, अब तक अनुमान जारी नहीं किया गया है.
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फसल अनुमान जारी करने में देरी का रकबे में बढ़ोत्तरी के मामले से कोई लेना देना नहीं है और इसे जल्द ही जारी कर दिया जाएगा. अधिकारी ने कहा कि क्षेत्र और डिजिटल सर्वेक्षण सहित सभी इनपुट पर विचार करने के बाद जब अनुमान को अंतिम रूप दिया जाएगा, तब रकबा और उत्पादन का पता चल जाएगा. मीडिया रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्र के हवाले से कहा गया कि डिजिटल फसल सर्वे पायलट आधार पर किया गया है. इसे धीरे-धीरे अपनाया जाएगा. हालांकि, उत्पादन अनुमान के महत्व को देखते हुए सरकार डिजिटल कृषि पर ध्यान केंद्रित कर रही है और फसल सर्वे इसका हिस्सा है.
कृषि मंत्रालय विशेषज्ञों के साथ धान के बढ़ते रकबे पर चर्चा कर रहा है, क्योंकि मैनुअल सर्वेक्षण में इसे केवल 10 लाख हेक्टेयर अधिक बताया गया था. जबकि, डिजिटल सर्वे में 65 लाख हेक्टेयर रकबा बढ़ा पाया गया है. साप्ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह ने 27 सितंबर को खरीफ धान के तहत फसल क्षेत्र का अनुमान 414.5 हेक्टेयर लगाया था, जबकि एक साल पहले यह 404.5 हेक्टेयर था.
धान के रकबे में उछाल की दो वजहें बताई जा रही हैं. पहली तो धान के बाजार मूल्य में बढ़ोत्तरी को माना जा रहा है. जबकि दूसरी वजह अच्छी बारिश और फसल के लिए अनुकूल मौसम को बताया गया है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि जब बारिश अच्छी होती है तो किसान ऊंचाई वाले इलाकों में भी धान की बुवाई करते हैं. हालांकि, कपास, बाजरा समेत कुछ फसलों के रकबे में गिरावट को भी धान की खेती में बढ़ोत्तरी को जोड़कर देखा जा रहा है और माना जा रहा है कि पंजाब समेत अन्य राज्यों के कपास और बाजरा किसान धान की खेती में शिफ्ट हो गए हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today