महाराष्ट्र में बहुत ज्यादा धान की खेती नहीं होती है लेकिन जहां होती है वहां खरीद की अच्छी व्यवस्था की जाती है. राज्य के रत्नागिरी में धान की खेती होती है. हालांकि, इस बार किसान सरकार को धान बेचने के लिए दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. किसानों को एक अक्टूबर से 30 नवंबर 2023 तक रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आमंत्रित किया गया था. हालांकि, रजिस्ट्रेशन को लेकर किसानों की पर से ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई गई. अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिलने और किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए धान बेचने की समय सीमा 31 जनवरी 2024 तक बढ़ा दी गई है. यानी अगर कोई किसान अब भी धान बेचने का इच्छुक है तो वो रजिस्ट्रेशन करवा सकता है.
राज्य के रत्नागिरी जिले में उत्पादित धान की 14 केंद्रों पर खरीद हो रही है. किसान अपने लिए चावल रखकर और बचा हुआ धान बेचकर पैसा कमा सकते हैं. जिले में विपणन संघ के माध्यम से धान खरीदी की जा रही है, जिसके जरिए अब तक किसानों द्वारा कुल 12 हजार 392 क्विंटल धान बेचा गया है. जबकि पिछले वर्ष किसानों ने 33240.80 क्विंटल धान बेचा था. न जाने क्यों इस साल किसान इसकी सरकारी बिक्री में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
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धान बेचने के इच्छुक किसानों को राज्य सरकार के खरीद पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए किसानों को खेत के दस्तावेज, आधार कार्ड और बैंक पासबुक की कॉपी लगानी होगी. खेत की फोटो भी अपलोड करनी होगी. रजिस्टर्ड किसान ही चावल बेच सकते हैं. सरकार द्वारा किसानों को कृषि उपज बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. किसानों से धान खरीदने के बाद खरीदे गए चावल को ई-नीलामी के माध्यम से थोक बिक्री के लिए भेजा जाता है. कुछ चावल को उचित दरों पर बिक्री के लिए अनाज भंडार में भेजा जाता है.
रत्नागिरी में किसान अब तक 12 हजार 392 क्विंटल धान बेच चुके हैं. पिछले वर्ष किसानों ने 33240.80 क्विंटल धान बेचा था. बिक्री के बाद पैसा सीधे किसान के खाते में जमा कर दिया जाता है. इस साल धान खरीद की सरकारी दर 2,183 रुपये प्रति क्विंटल है. इस साल पिछले साल जितना चावल जमा करना असंभव लग रहा है. भले ही रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ाई गई है. इस वर्ष बारिश की कमी के कारण धान की उत्पादकता प्रभावित होने के कारण पहले जितनी खरीद नहीं हो पा रही है. जबकि सरकार ज्यादा से ज्यादा खरीद की कोशिश कर रही है.
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