Black Rice: सिक्योरिटी गार्ड्स की निगरानी में शुरू हुई खेती, काला धान बो रहे ये किसान, जानें पूरी बात

Black Rice: सिक्योरिटी गार्ड्स की निगरानी में शुरू हुई खेती, काला धान बो रहे ये किसान, जानें पूरी बात

हिंसा के बीच किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटी सरकार. क्योंकि खेती में देरी से खाद्य उत्पादन प्रभावित हो सकता है. इसलिए सरकार खासकर उन क्षेत्रों में किसानों की सुरक्षा कर रही है जो अपने प्रसिद्ध 'काले चावल' के लिए जाने जाते हैं. ताकि काले धान की रोपाई पूरी हो सके.

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Black Rice: सिक्योरिटी गार्ड्स की निगरानी में शुरू हुई खेती, काला धान बो रहे ये किसान, जानें पूरी बातमणिपुरी में हिंसा के बीच इंफाल में शुरू हुई काले धान की खेती

मणिपुर में चल रही हिंसा के बीच वहां पर खेती-किसानी का काम जारी है. किसानों को कोई दिक्कत न आए इसके लिए कड़ी सुरक्षा में मणिपुर के काले चावल उत्पादक क्षेत्रों में धान की खेती शुरू हो गई है. धान की रोपाई चल रही है. यह प्रक्रिया इंफाल पश्चिम जिले के कोबरू की तलहटी में शुरू हुई, जहां विभिन्न समुदायों के किसान जवानों की निगरानी में मणिपुरी काले धान की खेती के लिए खेत तैयार कर रहे हैं. कांगपोकपी और पश्चिमी इंफाल जिलों में सेना और असम राइफल्स के जवानों की तैनाती का उद्देश्य बुवाई के मौसम के दौरान किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, खासकर उन क्षेत्रों में जो अपने प्रसिद्ध 'काले चावल' के लिए जाने जाते हैं. 

इन अशांत क्षेत्रों में सरकार किसानों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है ताकि खेती का काम प्रभावित न हो. राज्य सरकार ने कई मंत्रियों, विधायकों, राजनेताओं और नौकरशाहों के वीआईपी सुरक्षा कवर को कम कर दिया है, लेकिन किसानों को प्राथमिकता दी है. विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो राज्य में खाद्य उत्पादन प्रभावित हो सकता है. ऐसे में सरकार कृषि गतिविधियों पर हिंसा का प्रभाव नहीं पड़ने देना चाहती. इसलिए कड़ी सुरक्षा में धान की रोपाई हो रही है.
 

खेती में कितनी सुरक्षा 

खेती में लगे किसानों की सुरक्षा के लिए लगभग 2,000 सुरक्षा कर्मियों को लगाने की बात की जा रही है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एकीकृत कमान की बैठक के बाद कृषि क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के लिए विभिन्न जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की घोषणा की. मणिपुर के लिए खेती कितनी जरूरी है यह सरकार के इस एक्शन से झलकता है. 

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खेती में देरी से कितना नुकसान

कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि हिंसा की वजह से किसान लगभग 5,127 हेक्टेयर कृषि भूमि पर खेती करने में असमर्थ थे, जिसके परिणामस्वरूप 15,437.23 मीट्रिक टन का नुकसान हुआ. अगर इस मॉनसून सीजन में धान की खेती बड़े पैमाने पर नहीं की गई तो जुलाई के अंत तक नुकसान और बढ़ने की आशंका है. मणिपुर में खाद्य सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कड़े सुरक्षा उपायों के तहत धान की खेती का सफल कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है. 

काले धान की खेती का क्या होगा?

किसान इस महीने के अंत तक सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर खेती नहीं होने पर स्थानीय रूप से उगाए गए 'काले चावल' की संभावित कमी और उसके बाद कीमतों में वृद्धि को लेकर चिंतित हैं. जहां इम्फाल के बाहरी इलाकों में कुछ किसान पास की पहाड़ियों से हिंसा के डर के बावजूद बहादुरी से अपने खेतों की देखभाल कर रहे हैं, वहीं अन्य लोग इस व्यस्त मौसम के दौरान सुरक्षा चिंताओं के कारण खेती करने से बच रहे हैं.

 

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