टमाटर, प्याज और आलू की बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार ने इन तीनों की उपलब्धता और खेती को लेकर बड़ा दावा किया है. इन दिनों तीनों के दाम बढ़ रहे हैं और इससे उपभोक्ता परेशान हैं, जिससे सरकार की चिंता बढ़ी गई है. दरअसल, आलू, प्याज और टमाटर ऐसी कृषि उपज हैं जिनकी महंगाई बढ़ते ही उपभोक्ता त्राहि-त्राहि करने लगता है. हालांकि, बीते लोकसभा चुनाव में किसानों के मुद्दे पर सीटें कम होने का झटका झेलनी वाली सरकार अभी एक्सपोर्ट बैन का खेल नहीं खेलना चाहती, ऐसे में उसने उपभोक्ताओं को महंगाई से जल्द राहत मिलने का भरोसा दिलाने के लिए अच्छी बुवाई के आंकड़ों और स्टोरेज का जिक्र करना शुरू कर दिया है.
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने प्याज और आलू की खरीफ सीजन में बुवाई को लेकर आंकड़े जारी किए हैं, ताकि उपभोक्ताओं को यह लगे कि जल्द ही इन कृषि उपज की महंगाई से राहत मिलने वाली है. मंत्रालय ने कहा है कि इस साल अच्छी और समय पर हुई मॉनसून की बारिश ने खरीफ फसलों, जिसमें प्याज तथा टमाटर और आलू जैसी अन्य बागवानी फसलें शामिल हैं, को काफी बढ़ावा दिया है. राज्य सरकारों के साथ कृषि मंत्रालय के आकलन के अनुसार, खरीफ मौसम के लिए प्याज, टमाटर और आलू जैसी प्रमुख सब्जियों की बुवाई के रकबे में पिछले साल के मुकाबले वृद्धि देखी गई है.
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पिछले साल के मुकाबले रबी-2024 मौसम में प्याज का उत्पादन थोड़ा कम होने के बावजूद घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता संतोषजनक है. हालांकि, प्याज की फसल तीन मौसमों में प्राप्त की जाती है. मार्च से मई में रबी, सितंबर से नवंबर में खरीफ और जनवरी से फरवरी में लेट खरीफ सीजन का प्याज बाजार में आता है. उत्पादन के मामले में, रबी प्याज फसल कुल उत्पादन का लगभग 70 फीसदी होती है, जबकि खरीफ और लेट खरीफ दोनों मिलकर 30 फीसदी उत्पादन करते हैं. रबी सीजन के प्याज की कम आवक वाले महीनों के दौरान खरीफ प्याज मूल्य स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
आलू | प्याज | टमाटर | |
औसत दाम | 35.34 | 43.01 | 58.25 |
अधिकतम दाम | 80 | 80 | 130 |
Source: Department of Consumer Affairs
इस साल खरीफ सीजन के दौरान 3.61 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले साल की तुलना में 27 फीसदी अधिक है. बड़े खरीफ प्याज उत्पादक राज्य कर्नाटक में इस सीजन 1.50 लाख हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 30 फीसदी रकबे में बुवाई पूरी हो चुकी है. अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में भी बुवाई चल रही है.
बाजार में वर्तमान में उपलब्ध प्याज रबी-2024 की फसल है, जिसकी कटाई मार्च से मई 2024 के दौरान हुई है. रबी-2024 का अनुमानित उत्पादन 191 लाख टन है, जो प्रति माह लगभग 17 लाख टन की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. इस वर्ष रबी सीजन की फसल की कटाई के दौरान और उसके बाद शुष्क मौसम की स्थिति ने प्याज के भंडारण के दौरान होने वाले नुकसान को काफी कम किया है.
मंत्रालय का दावा है कि प्याज की कीमतें स्थिर हो रही हैं, क्योंकि किसानों द्वारा बाजार में रबी सीजन के प्याज की आवक की मात्रा बढ़ाई जा रही है. इसका कारण कीमतों में वृद्धि और मॉनसून की बारिश की शुरुआत है. क्योंकि बारिश की वजह से हुई नमी भंडारण में प्याज को होने वाले नुकसान की संभावना को बढ़ा देती है.
रही बात आलू की तो यह मूल रूप से रबी सीजन की फसल है. लेकिन कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कुछ मात्रा में खरीफ सीजन के आलू का भी उत्पादन होता है. सितंबर से नवंबर के दौरान कटाई की जाने वाली खरीफ आलू की फसल बाजार में आलू की उपलब्धता को बढ़ाती है. इस साल खरीफ सीजन के आलू के तहत रकबा पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य है.
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने बुवाई के लिए रखे गए लक्ष्य को कवर कर लिया है, जबकि कर्नाटक और अन्य राज्यों में बुवाई की प्रगति अच्छी है. इस साल रबी सीजन वाला 273.2 लाख टन आलू कोल्ड स्टोरेज में स्टोर किया गया था, जो खपत की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. मार्च से दिसंबर तक स्टोरेज अवधि के दौरान कोल्ड स्टोरेज से निकलने वाले आलू का रेट कीमतों को कंट्रोल करने में मदद करता है.
कृषि मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के साथ किए गए आकलन के अनुसार, इस वर्ष खरीफ सीजन के टमाटर की बुवाई का रकबा 2.72 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि पिछले वर्ष 2.67 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई थी. आंध्र प्रदेश के चित्तूर और कर्नाटक के कोलार, जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में फसल की स्थिति अच्छी बताई गई है. कोलार में, टमाटर की तुड़ाई शुरू हो गई है और अब से कुछ दिनों के भीतर बाजार में आ जाएगी.
चित्तूर और कोलार में जिला बागवानी अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, इस वर्ष टमाटर की फसल पिछले वर्ष की तुलना में काफी बेहतर है. मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीफ टमाटर के रकबे में पिछले वर्ष की तुलना में काफी वृद्धि होने की संभावना है.
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