सर्द मौसम बना चाय कारोबार की चुनौतीनीलगिरि जिले में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. कई इलाकों में पाला (फ्रॉस्ट) जमने की वजह से चाय के पौधों को नुकसान हो रहा है. जब बहुत ठंड होती है, तो चाय की पत्तियां ठीक से नहीं बढ़ पातीं. इसी कारण चाय की तुड़ाई (पत्तियां तोड़ने का काम) कम हो गई है. इसका सीधा असर कूनूर में होने वाली चाय नीलामी पर पड़ा है.
व्यापारियों ने बताया कि सर्द मौसम की वजह से चाय बागानों में काम धीमा हो गया है. मजदूर कम चाय की पत्तियां तोड़ पा रहे हैं. इसलिए नीलामी के लिए आने वाली चाय की मात्रा भी कम हो गई है. कूनूर चाय नीलामी में इस बार चाय की आवक में साफ गिरावट देखी गई.
सर्दी का असर सिर्फ चाय पर ही नहीं पड़ा, बल्कि चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों पर भी पड़ा है. जब चाय की तुड़ाई कम होती है, तो मजदूरों को काम भी कम मिलता है. इससे उनकी रोज़ी-रोटी पर असर पड़ता है. ठंड में काम करना भी उनके लिए मुश्किल हो जाता है.
छुट्टियों के सप्ताहांत में कूनूर ही ऐसा केंद्र था, जहां चाय की नीलामी हुई. हालांकि कुछ इलाकों से चुनिंदा खरीदार आए, फिर भी ज़्यादातर चाय की किस्मों के दाम गिरे हुए रहे. यानी खरीदार तो आए, लेकिन कीमतें ज़्यादा नहीं बढ़ सकीं.
ग्लोबल टी ऑक्शनियर्स के अनुसार, पत्ती वाली चाय (लीफ टी) की कुल पेशकश करीब 14,92,492 किलो रही. इसमें से लगभग 82 प्रतिशत चाय बिक पाई. वहीं, चाय की धूल (डस्ट टी) की पेशकश 3,76,264 किलो थी, जिसमें भी करीब 82 प्रतिशत की बिक्री हुई. यह दिखाता है कि बाजार में चाय तो बिकी, लेकिन उम्मीद से कम मात्रा में.
पत्ती वाली चाय में जो महंगी और अच्छी चाय थी, उनके दाम ₹2 से ₹3 तक कम हो गए. मध्यम दर्जे की चाय के दाम ₹1 से ₹2 तक गिरे और कुछ चाय बिक ही नहीं पाई. मोटी पत्तियों वाली चाय में यह गिरावट ज़्यादा दिखी.
सीटीसी डस्ट चाय में भी दाम गिरे. अच्छी और महंगी डस्ट चाय 6 से 8 रुपये तक सस्ती हो गई. मध्यम दर्जे की डस्ट चाय 2 से 3 रुपये तक कम दाम पर बिकी. कुछ किस्मों में 1 से 2 रुपये तक की हल्की गिरावट देखी गई.
अगर ठंड का असर इसी तरह बना रहा, तो आने वाले दिनों में भी चाय की पैदावार और नीलामी पर असर पड़ सकता है. मौसम सुधरने पर ही चाय बागानों में काम फिर से तेज़ हो पाएगा और मजदूरों को राहत मिलेगी.
कूनूर की चाय नीलामी पर सर्दी का साफ असर दिख रहा है. चाय की आवक कम है, दाम गिरे हैं और मजदूरों को भी परेशानी हो रही है. सबकी नजर अब मौसम के बेहतर होने पर टिकी है, ताकि चाय उद्योग फिर से रफ्तार पकड़ सके.
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