Protecting crops from frost : सावधान! भीषण ठंड और पाले से फसलों को बचाने के लिए उपकार ने सुझाए ये रामबाण उपाय  

Protecting crops from frost : सावधान! भीषण ठंड और पाले से फसलों को बचाने के लिए उपकार ने सुझाए ये रामबाण उपाय  

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (UPCAR) द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार, प्रदेश में अगले कुछ दिनों तक घना कोहरा और कड़ाके की ठंड (शीत दिवस) रहने की संभावना है . इस भीषण ठंड और पाले से फसलों को बचाने के लिए जरूरी सलाह दी है जिसे अपनाकर किसान अपना कर किसान इस फसलों से बेहतर उत्पादन ले सकते है .

Advertisement
सावधान! भीषण ठंड और पाले से फसलों को बचाने के लिए उपकार ने सुझाए ये रामबाण उपाय  

मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले सप्ताह में उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में भारी कोहरा छाया रहेगा, जिससे तापमान में बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी. बुंदेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी हिस्सों में  ज्यादा ठड़ बनी रहने स्थिति बन सकती है. रात का पारा 6 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है, जो फसलों और पशुओं दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है  विशेष रूप से 2 जनवरी से 8 जनवरी के बीच पश्चिमी यूपी में हल्की बारिश की भी संभावना है जिससे गलन बढ़ सकती है उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (UPCAR)  लखनऊ द्वारा किसानों को जरूरी सलाह दी गई है बढ़ती ठंड को देखते हुए किसान भाई अपनी फसलों की हल्की सिंचाई जरूर करें ताकि पाले और तापमान की गिरावट से बचाव हो सके तिलहनी फसलों में माहूं कीट का खतरा बढ़ गया है, इसलिए समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें . 

गेहूं और मक्का में अपनाएं ये तकनीक

अगर आप गेहूं की बुवाई में पिछड़ गए हैं, तो 15 जनवरी तक पी.बी.डब्लू.-833 या उन्नत हलना जैसी किस्मों की बुवाई कर लें, लेकिन बीज की मात्रा सामान्य से 25 फीसदी अधिक रखें . गेहूं में बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई जरूर करें. यदि पौधों में जिंक की कमी के लक्षण दिखें, तो 5 किलो जिंक सल्फेट और 16 किलो यूरिया को 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें. मक्का के किसानों के लिए सलाह है कि वे बुवाई के 40-45 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें और यूरिया की टॉप ड्रेसिंग सिंचाई के बाद ही करें ताकि खाद का पूरा असर पौधों की जड़ों तक पहुंच सके 。

दलहन तिलहन और गन्ना किसान ये है सुझाव

चने की खेती में एक बात का विशेष ध्यान रखें कि फूल आने से पहले सिंचाई करें, लेकिन फूल आते समय पानी बिल्कुल न दें, अन्यथा पैदावार घट सकती है . मटर में अगर पत्तियों और फलियों पर सफेद पाउडर जैसा 'बुकनी रोग' दिखे, तो तुरंत घुलनशील गंधक का छिड़काव करें . सरसों को 'सफेद गेरूई' रोग से बचाने के लिए मैंकोजेब युक्त फफूंदनाशी का इस्तेमाल करें . दलहनी फसलों में कटुआ कीट के नियंत्रण के लिए खेत में जगह-जगह सूखी घास के ढेर रख दें, जहाँ ये कीट दिन में छिपते हैं, और सुबह उन्हें एकत्र कर नष्ट कर दें . गन्ने की फसल को कड़ाके की ठंड से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर सिंचाई करते रहें . शरदकालीन गन्ने की कटाई के बाद पेड़ी अच्छी बढ़वार के लिए 100 क्विंटल ताजी प्रेसमड का उपयोग करेंं. 

बागवानी और सब्जी सब्जियों की हिफाजत ऐसे करे. 

बागवानी के क्षेत्र में, आम के पेड़ों को 'मिलीबग' (गुजिया कीट) से बचाने के लिए तने पर 25 सेमी चौड़ी पॉलिथीन पट्टी लपेटें . पुराने और घने आम के बागों में छंटाई का काम इसी समय दिसंबर में पूरा कर लें और कटे हुए हिस्सों पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का लेप लगाएं ताकि संक्रमण न फैले. अमरूद में छाल खाने वाली इल्ली को रोकने के लिए सुराखों में कीटनाशक से भीगी रुई भरकर मिट्टी का लेप लगा दें .सब्जियों, विशेषकर आलू, टमाटर और मिर्च में इस मौसम में झुलसा रोग और विषाणु (Virus) का खतरा अधिक होता है. इसे रोकने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या मैंकोजेब का छिड़काव करें . 

कीटों और रोगों पर करें कड़ा प्रहार

वर्तमान मौसम में कीटों और रोगों का हमला तेज हो सकता है, विशेषकर तिलहनी फसलों में माहूं के प्रकोप के लिए मौसम बहुत अनुकूल है. एकीकृत कीट प्रबंधन के तहत रबी की सभी सब्जियों में नीम के का 5 मिली प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर 10-15 दिनों के अंतर पर छिड़काव करें. पशुओं को ठंडी हवा के सीधे संपर्क +से बचाने के लिए उनके बाड़ों को त्रिपाल से ढकें. 

यह भी पढ़ें- 

POST A COMMENT